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जागरण विशेष- झोपड़ी में लेडी ढाबा, लगती वीआइपी की कतार

फोटो- 20 केएटी- 1 - कोसी व सीमांचल में एनएच 31 पर स्थित सुलेखा के अनोखे ढाबे की है अलग ख्याति -

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Jun 2018 11:47 PM (IST)Updated: Wed, 20 Jun 2018 11:47 PM (IST)
जागरण विशेष- झोपड़ी में लेडी ढाबा, लगती वीआइपी की कतार
जागरण विशेष- झोपड़ी में लेडी ढाबा, लगती वीआइपी की कतार

फोटो- 20 केएटी- 1

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- कोसी व सीमांचल में एनएच 31 पर स्थित सुलेखा के अनोखे ढाबे की है अलग ख्याति

- दही, चूड़ा, पेड़ा व घी के लिए है इसकी प्रसिद्धि, बड़े-बड़े नेता से लेकर अधिकारी तक की गाड़ी को लगता है यहां ब्रेक

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पूनम यादव, संवाद सूत्र, समेली, कटिहार : एनएच 31 पर कटिहार जिले के समेली प्रखंड क्षेत्र में एक महिला द्वारा झोपड़ी में चलाए जा रहे देसी ढाबे की ख्याति दूर-दूर तक है। दही-चूड़ा व पेड़ा का नाश्ता इसकी पहचान है। यहां पेड़ा खाने व देसी घी लेने के लिए लोग खासतौर पर रुकते हैं। संसाधन की कमी के बीच इस उद्यम के जरिए सुलेखा देवी नामक इस महिला ने सफलता की भी नई कहानी लिखी है। दही बेचने वाली सुलेखा के ढाबे तक पहुंचने की गजब है कहानी

समेली प्रखंड के डुमर निवासी सुलेखा देवी पति महेन्द्र पोद्दार वर्ष 2003 से एनएच 31 के बगल में आयल इंडिया गेट के समीप यह ढाबा चला रही है। वर्ष 2003 के पहले वह गांवों में घूम-घूमकर दही बेचा करती थी। उसकी घर की आर्थिक स्थिति बेहद खराब थी। अपने बड़े पुत्र धनंजय पोद्दार को किसी तरह पढ़ाकर मैट्रिक पास करवाया और छोटे पुत्र अजय पोद्दार वह मुक्कम शिक्षा नहीं दे पाई। दही बेचने में काफी मशक्कत व आमदनी कम होने की स्थिति में उसने अचानक नाश्ते की छोटी से दुकान खोलने का मन मनाया। इसमें उसने दूध खरीदकर दही व पेड़ा बनाकर बेचना शुरु कर दिया। फिर नाश्ते के रुप में दही-चूड़ा व पेड़ा की व्यवस्था उसने की। धीरे-धीरे उसकी प्रसिद्धि दूर तक होती गई। बाद में पनीर, घी आदि भी वे बेचने लगी। आज उसकी दुकान पर बड़ी-बड़ी लग्जरी गाड़ी रुक रही है। बड़े-बड़े नेता से लेकर अधिकारी तक वहां रुकते हैं और डिमांड के अनुसार पेड़ा, दही व घी की आपूर्ति करना उसके लिए मुश्किल होता है। झोपड़ी में रहने वाली सुलेखा ने बनाया सुंदर सा घर अपनी हूनर से सुलेखा अब पूरे परिवार को आर्थिक संबलता प्रदान कर चुकी है। झोपड़ी में रहने वाली सुलेखा का अपना सुंदर मकान भी है। बड़े पुत्र धनंजय को उसने मक्का के कारोबार से जोड़ दिया है। छोटा पुत्र दुकानदार में रहकर मां के कामों में हाथ बंटा रहा है। आज वह पूरे इलाके की महिलाओं के लिए मिसाल बन गई है। उनसे प्रेरित होकर अब कई अन्य महिलाएं भी अलग-अलग स्थानों पर अलग रोजगार खड़ा कर रही है।


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