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आवश्यक: केले की शोध खेती की जांच को तमिलनाडु से पहुंचा वैज्ञानिकों का दल

- पनामा बिल्ट रोग से निजात को किया जाएगा रिसर्च ------------------------------------------------

By JagranEdited By: Published: Tue, 20 Nov 2018 01:28 AM (IST)Updated: Tue, 20 Nov 2018 01:28 AM (IST)
आवश्यक: केले की शोध खेती की जांच को तमिलनाडु से पहुंचा वैज्ञानिकों का दल

- पनामा बिल्ट रोग से निजात को किया जाएगा रिसर्च

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संवाद सूत्र, फलका (कटिहार) : भारत सरकार के नेशनल रिसर्च सेंटर ऑफ बनाना त्रिचुरापल्ली द्वारा प्रखंड के युवा किसान अमित कुमार के एक एकड़ जमीन में शोध हेतु 315 उन्नत प्रजाति के लगे केला की खेती की जांच को लेकर कृषि वैज्ञानिकों का दल भेजा गया। वैज्ञानिकों की टीम ने खेत में लगे केले की जांच की। साथ ही पनामा बिल्ट बीमारी से ग्रसित पौधे के कंद को विस्तृत शोध एवं जांच के लिए नमूने के तौर पर इकट्ठा किया। वैज्ञानिकों की टीम खेत में लगे पौधों का मुआयना किया। जांच के बाद वैज्ञानिकों ने बताया कि रोग ग्रस्त क्षेत्र में ट्रैक्टर से जुताई करने के बाद वही ट्रैक्टर बिना धोए किसी दूसरे खेतों में जोताई करने से उस खेत की फसलें भी इस बीमारी से ग्रसित हो जाएगी। कृषि वैज्ञानिकों ने कहा कि अभी तक इस रोग का समुचित उपचार की खोज नहीं हो पायी है। रोकथाम के लिए रिसर्च सेंटर में बायोजन कंट्रोल नामक दवा तैयार की जा रही है। इस रोग से छुटकारा पाने के लिए सभी किसानों को एक साथ 25 साल तक केला खेती बंद करना होगा। 315 प्रकार के किले की प्रजाति शोध किया जा रहा है कि कौन सी प्रजाति का केला इस रोग से मुक्त रह सका। वैज्ञानिकों ने बताया कि पनामा बिल्ट नामक बीमारी की कीट बिना कुछ खाए 25 साल तक ¨जदा रह सकता है। बताते चलें कि इससे पूर्व भी सबौर सहित अन्य कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक जांच व शोध के लिए पहुंच चुके हैं। लेकिन इस रोग की सटीक दवा नहीं बन पायी है। पनामा बिल्ट के कहर से कई किसान केला की खेती को छोड़ चुके हैं। तीन सदस्यीय टीम में कृषि वैज्ञानिक आर. ढंगा, डा. एसएम सरस्वती, डा. लोकनाथ शामिल थे।


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