Move to Jagran APP

कस्तूरबा गांधी विद्यालय में जलजमाव की समस्या का नहीं हुआ समाधान

प्रखंड कार्यालय परिसर में स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय जलजमाव की समस्या से उबर नहीं सका है। यही हाल बगल में 22 लाख की लागत से बने पशु अस्पताल का है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 12 Oct 2019 11:58 PM (IST)Updated: Sat, 12 Oct 2019 11:58 PM (IST)
कस्तूरबा गांधी विद्यालय में जलजमाव की समस्या का नहीं हुआ समाधान
कस्तूरबा गांधी विद्यालय में जलजमाव की समस्या का नहीं हुआ समाधान

प्रखंड कार्यालय परिसर में स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय जलजमाव की समस्या से उबर नहीं सका है। यही हाल बगल में 22 लाख की लागत से बने पशु अस्पताल का है। यह स्थिति दो चार दिनों से नहीं बल्कि एक माह से बनी हुई है। फिर भी प्रशासनिक स्तर पर इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। लिहाजा कस्तूरबा विद्यालय की छात्राएं जमा गंदा पानी में होकर आती जाती हैं। पशु अस्पताल का तो इससे भी बुरा हाल है। बारिश के पानी के अलावा बाजार के नाला का पानी इसी परिसर में जमा होने से इसकी स्थिति नारकीय बन गई है।

loksabha election banner

पशुओं को हाइटेक सुविधा के निर्मित ब्लॉक परिसर में बना यह अस्पताल अपनी दुर्दशा पर स्वयं आंसू बहा रहा है। अस्पताल तक जाने के लिए पशुपालकों को घुटने भर पानी में होकर ही जाना पड़ता है। वह भी दस बीस फीट की दूरी नहीं बल्कि सौ मीटर लोगों को गंदा जमा पानी से होकर गुजरना पड़ता है। जिसके चलते एक भी पशुपालक यहां नहीं पहुंच पाते। जिससे उनको पशुओं के रखरखाव के लिए मिलने वाली सुविधा का समुचित लाभ नहीं मिल सकता। इससे पहले भी कई बार मवेशी अस्पताल का मार्ग बंद जलजमाव के चलते हो गया था। कारण की नाला का जमा पानी अभी इस परिसर से नहीं सूख सका था बारिश के पानी ने इसे और मुसीबत में ला दिया है। अब तो और स्थिति खराब हो गई है। विषैले जानवरों के इस परिसर में रेंगने से लोग भयभीत भी रहते हैं। जलजमाव के कारण कस्तूरबा विद्यालय की स्थिति भी खराब हो गई है। यह विद्यालय भी चारों तरफ से गंदा पानी से घिरा हुआ है। बच्चियों व कर्मियों को बाहर निकलने में इसी गंदे पानी से होकर गुजरना पड़ता है। इस दुर्दशा के चलते मवेशी अस्पताल के चिकित्सक से लेकर कर्मी भी कभी कभार ही अस्पताल में कदम रखते हैं। बता दें कि इस मवेशी अस्पताल का निर्माण पांच वर्ष पहले ही हुआ। लेकिन आज तक इस अस्पताल को रास्ता से नहीं जोड़ा जा सका। चिकित्सक इस समस्या को लेकर न जाने कितनी बार बीडीओ व पीओ तथा मुखिया से मिल गुहार लगाए। लेकिन परिणाम शून्य ही रहा। इस संबंध में पूछे जाने पर पीओ गिरेंद्र कुमार ने कहा कि मुखिया को इस दिशा में कार्रवाई शुरू करने को कहा गया था।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.