मौसम की मार, बच्चे पर रहे बीमार
जिले में इन दिनों ठंड के साथ-साथ तेज हवा भी चल रही है। तापमान में बदलाव के कारण शहर से लेकर गावों तक मौसमी बीमारियों का प्रकोप बढ़ गया है। बैक्टीरिया जनित बीमारिया हो रही हैं। बीमार होने वालों में ब'चों की संख्या अधिक है। खासकर पाच वर्ष से कम उम्र के ब'चे सर्दी, खासी, बुखार व उल्टी के साथ ही डायरिया और म'छरजनित रोगों की चपेट में आ रहे हैं। इन सबसे अधिक खतरा निमानिया जैसी बीमारियों से देखने को मिलता है। इससे बीमार हो रहे ब'चों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। जिसके बाद उनके माता-पिता अस्पतालों का चक्कर लगा रहे हैं। जरूरत है तो ठंड को देखते हुए ब'चों के सही देखभाल की।
जिले में इन दिनों ठंड के साथ-साथ तेज हवा भी चल रही है। तापमान में बदलाव के कारण शहर से लेकर गावों तक मौसमी बीमारियों का प्रकोप बढ़ गया है। बैक्टीरिया जनित बीमारिया हो रही हैं। बीमार होने वालों में बच्चों की संख्या अधिक है। खासकर पाच वर्ष से कम उम्र के बच्चे सर्दी, खासी, बुखार व उल्टी के साथ ही डायरिया और मच्छरजनित रोगों की चपेट में आ रहे हैं। इन सबसे अधिक खतरा निमानिया जैसी बीमारियों से देखने को मिलता है। इससे बीमार हो रहे बच्चों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। जिसके बाद उनके माता-पिता अस्पतालों का चक्कर लगा रहे हैं। जरूरत है तो ठंड को देखते हुए बच्चों के सही देखभाल की।
एक से 30 जनवरी तक कुल 67 बच्चे सदर अस्पताल के सिक न्यूबोर्न केयर यूनिट में आए हैं। इन बच्चों में अधिकांश निमोनिया, डायरिया व वायरल बुखार से प्रभावित थे। शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. महताब ने बताया कि माता-पिता ठंड के मौसम में सावधानी बरते तो उनके बच्चे स्वस्थ रह सकते हैं। इस मौसम में बच्चों को तेल मालिस करने के लिए मां खुले में लेकर जाती है। जो काफी खतरनाक है। ठंड में बच्चों को हवा से बचाना जरूरी है। जब धूप निकले तो ही बच्चों को बाहर लेकर निकलना चाहिए। बताया कि इन दिनों हवा चल रही है। जिससे बच्चों को ठंड लगने की आशंका अधिक रहती है। इसलिए बच्चों को ठंड में हवा से बचाकर स्वस्थ रखा जा सकता है। कहा कि निमोनिया में एंटीबायोटिक दवा दी जाती है, लेकिन डायरिया व वायरल बुखार में एंटीबायोटिक दवा का प्रयोग नहीं करना चाहिए। डायरिया का प्रभाव होने पर ओआरएस दें। बच्चों को किसी प्रकार का कोई परेशानी हो तो निजी दुकानों से दवा नहीं लेना चाहिए। चिकित्सक की सलाह लेकर ही दवा देनी चाहिए। वहीं, ज्यादातर माताओं को लगता है कि बच्चों को सबसे ज्यादा ठंड छाती में लगती है इसलिए वे बच्चों को ढेर सारे कपड़े पहनाकर रखती हैं जबकि ठंड के मौसम में पैर और सिर को भी ढंककर रखना भी बेहद जरूरी होता है। - एसएनसीयू में बच्चों के इलाज की समुचित व्यवस्था की गई है। 14 बेड में एक बेड गंभीर रूप से बीमार बच्चों के लिए रखा जाता है। ठंड को देखते हुए बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति अस्पताल प्रबंधन सतर्क है।
- मिथिलेश झा, सीएस