समस्याओं का दंश झेल रहा शांति बालिका उच्च विद्यालय
संवाद सहयोगी मोहनियां: अनुमंडल मुख्यालय स्थित प्रोजेक्ट शांति बालिका उच्च विद्यालय समस्याओं का
संवाद सहयोगी मोहनियां: अनुमंडल मुख्यालय स्थित प्रोजेक्ट शांति बालिका उच्च विद्यालय समस्याओं का दंश झेल रहा है। नारी शिक्षा के क्षेत्र में पूरे अनुमंडल में अपनी पहचान बना चुके उक्त विद्यालय में करीब डेढ़ हजार छात्राएं शिक्षा ग्रहण करती हैं। इनके लिए न तो पर्याप्त शौचालय की व्यवस्था है नहीं पेयजल की। नौ कमरे में डेढ़ हजार छात्राएं बैठकर शिक्षा ग्रहण करती हैं। इतनी छात्राओं को पढ़ाने के लिए विषयगत शिक्षकों की संख्या मात्र नौ ही है। बरसात के मौसम में विद्यालय परिसर में घुटने भर पानी जमा हो जाता है। जिससे होकर छात्राएं प्रतिदिन गुजरती हैं। घुटने भर पानी में खड़ा होकर छात्राओं को प्रार्थना करनी पड़ती है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि विद्यालय में कितनी समस्याएं हैं। सरकारी तौर पर शिक्षा व्यवस्था को चुस्त दुरुस्त करने के लिए विद्यालयों की मूलभूत संरचनाओं को दुरुस्त करने का दावा मोहनियां के प्रोजेक्ट शांति बालिका उच्च विद्यालय में खोखला साबित हो रहा है। ज्ञात हो कि 25 दिसंबर 1976 को तत्कालीन प्रतिरक्षा मंत्री जगजीवन राम ने उक्त विद्यालय का शिलान्यास किया था। विद्यालय के संस्थापक स्वर्गीय भूंडोल ¨सह के अथक प्रयास से प्रोजेक्ट शांति बालिका उच्च विद्यालय की अपनी पहचान है। यहां की व्यवस्था काफी चाक-चौबंद है। लेकिन भीतर जाने के बाद व्यवस्था की पोल खुलती है। सरकारी तौर पर एक कमरे में 40 विद्यार्थियों को बैठने का मानक निर्धारित किया गया है। इतने विद्यार्थियों पर एक शिक्षक का होना जरूरी है। लेकिन शारदा ब्रजराज उच्च विद्यालय में डेढ़ हजार छात्राओं को मात्र नौ शिक्षक नौ कमरे में शिक्षा देते हैं। यानी एक कमरे में डेढ़ सौ से अधिक छात्राएं बैठकर शिक्षा ग्रहण करती हैं। यहां मोहनियां के अलावा 10 से 15 किलोमीटर की दूरी तय कर ग्रामीण क्षेत्रों से भी छात्राएं शिक्षा ग्रहण करने आती हैं। विद्यालय में कई वर्षों से जीव विज्ञान, संस्कृत, ¨हदी, उर्दू विषय के शिक्षक नहीं हैं। किसी तरह इन विषयों की पढ़ाई की औपचारिकता पूरी की जाती है। डेढ़ हजार छात्राओं पर विद्यालय परिसर में मात्र तीन शौचालय है। विद्यालय परिसर में दो चापाकल लगे हैं। जिसमें एक खराब है। एक चापाकल से छात्राओं की प्यास बुझती है। विद्यालय परिसर में समर्सिबल लगा है लेकिन बिजली नहीं रहने पर चापाकल ही छात्राओं की प्यास बुझाता है। विद्यालय से सटे पूरब तरफ झील का नजारा है। यहां से पानी निकलने की कोई व्यवस्था नहीं है। पूरे वार्ड के घरों का पानी विद्यालय के तरफ ही आता है। जल निकासी नहीं होने के कारण विद्यालय परिसर में कई वर्षों से गंदा जमा पानी होता है।इसके कारण पूरे बरसात छात्राओं की फजीहत होती है। अधिक पानी होने पर छात्राओं के कपड़े भींग जाते हैं। इसके बावजूद वे शिक्षा ग्रहण करती हैं। विद्यालय के प्राचार्य डॉ गोपाल ¨सह ने पूछने पर बताया कि विद्यालय की समस्याओं से विभाग के वरीय पदाधिकारियों को अवगत कराया गया है। बरसात के दिनों में जल जमाव की समस्या से शिक्षक शिक्षिकाओं व छात्राओं को जूझना पड़ता है। जल निकासी की व्यवस्था नहीं होने से यह समस्या जटिल है।