पराली पर पहरा, धान की खरीदारी पर चुप्पी से किसान परेशान
परेशानी का कारण बनी रीपरयुक्त हार्वेस्टर से धान कटाई के बाद बची पराली - निर्धारित तिथि के 24 दिन बाद भी नहीं शुरू हो सकी धान खरीदारी जागरण संवाददाता भभुआ पराली पर पहरा लेकिन धान खरीदारी पर प्रशासन की चुप्पी से किसान परेशान है। रीपर युक्त हार्वे
पराली पर पहरा लेकिन धान खरीदारी पर प्रशासन की चुप्पी से किसान परेशान हैं। रीपर युक्त हार्वेस्टर से धान की कटाई के बाद खेत में बची पराली से किसान गेंहू के बीज न डाल पाने से परेशान दिखाई पड़ रहे है। बिना पराली जलाए वे बीज कैसे डाले यह उनके लिए यक्ष प्रश्न बन गया है। जानकार सूत्रों की माने तो पराली जलाने से लगभग 15 फीसदी प्रदूषण होता है। किसानों का मानना है कि उनकी परेशानी के इस मुद्दे पर सरकार को भी सोचना चाहिए। इधर धान खरीदारी की स्थिति यह कि घोषित तिथि 15 नवंबर के 24 दिन बाद भी जिले में धान की खरीदारी शुरू नहीं हो सकी है जबकि जिले को धान खरीद का लक्ष्य दो लाख 40 हजार एमटी रखा गया है। ऐसे कैसे लक्ष्य पूरा होगा यह भी एक सवाल है। क्योंकि जिन किसानों द्वारा धान की फसल को तैयार कर खलिहान में रखा जा रहा है वहां व्यवसायी पहुंच जा रहे हैं। किसानों को भी कई तरह की जरूरतों के लिए पैसों की आवश्यकता है। जिसकी पूर्ति के लिए वे विवश होकर व्यवसायियों को धान बेच दे रहे हैं। इसमें किसानों को प्रति क्विटल तीन-चार सौ रुपये का नुकसान हो रहा है। लेकिन यदि सरकारी क्रय केंद्र खोलने में विलंब हुआ तो अधिसंख्य किसान अपने धान को बाजार में ही बेच देंगे। ऐसे में जिले को मिला लक्ष्य पूरा होने मुश्किल लग रहा है।
इस संबंध में पूछे जाने पर जिला सहकारिता पदाधिकारी रामाश्रय राम ने कहा कि दो तीन दिन के अंदर धान खरीदारी का कार्य शुरू करा दिया जाएगा। हर हालत में निर्धारित तिथि तक लक्ष्य पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि किसानों से धान खरीदने कार्य पैक्सो के माध्यम से ही कराया जाएगा। ज्ञात रहे कि जिले में कुल 151 पंचायतें है। लेकिन पैक्सो की संख्या 148 के आसपास बताई जाती है जबकि 130-135 पैक्स के माध्यम से ही धान की खरीद होते आ रही है।