चाचा के नक्शे कदम पर चल भतीजे ने शिल्पकला में भरी उड़ान
आगामी तीन जनवरी को पटना के शिल्पकला केंद्र में किया जाएगा सम्मानित - संतोष के चाचा शिल्पकला में है माहिर देश विदेश तक दिखा चुके है करतब संवाद सहयोगीभभुआ राज्य सरकार की ओर से शिल्प कला के क्षेत्र में 20 लोगों को पुरस्कृत किया जाना है। इस क्षेत्र में कैमूर के एक लाल का नाम है। जो पाषाण काल के शिल्प
किसी की सफलता में दो चीजों का बहुत महत्व होता है। एक उसकी मेहनत और दूसरा उसका गुरु। कड़ी मेहनत की बदौलत कोई किसी ऊंचाई को छू सकता है, बर्शते उसे राह दिखाने वाला गुरू उसके प्रति त्याग वाला हो। कुछ ऐसा ही परि²श्य चाचा फिरंगी और उनके भतीजे संतोष पर देखने को मिल रहा है। चाचा फिरंगी के नक्शे कदम पर चल भतीजा संतोष आज ऐसी उड़ान भरा कि उसको राज्य सरकार भी सम्मानित करने जा रही है। अपनी कला का परचम लहराते हुए आज इस सम्मान के लिए चयनित होने की खबर से संतोष के अलावा उसका पूरा परिवार व खास कर उसके चाचा फिरंगी का मनोबल काफी ऊंचा हुआ है। बता दें कि राज्य सरकार की ओर से शिल्पकला के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले 20 लोगों को पुरस्कृत किया जाना है। इसमें कैमूर के एक शिल्पकार का भी नाम है। जो पाषाण काल के शिल्प में अपना नाम का परचम लहरा रहा है। उसके नाम अब शिल्पकला के क्षेत्र में शुमार हो चुका है। संतोष की ख्याति से प्रभावित राज्य सरकार उसे सम्मानित कर रही है। इससे जिले का नाम फिर एक बार रोशन होने जा रहा है। यह कैमूर जिले के लिए गौरव की बात है। यह पुरस्कार बिहार सरकार की ओर से बिहार सरकार के उद्योग मंत्री उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान केंद्र में दिया जाएगा। यह पुरस्कार शिल्प कला की क्षेत्र में संतोष को पहली बार मिल रहा है। राज्य पुरस्कार मिलने को लेकर संतोष काफी उत्साहित है।
पाषाण काल के शिल्प कला में संतोष ने चाचा से सीखा है गुर -
जिले के चांद प्रखंड के केशरी गांव निवासी चिरौंजी साह के पुत्र संतोष ने बताया कि वो पाषाण काल से जुड़ी शिल्प कला को बनाने का कार्य करता है। जिसको स्टोनकारबिन अंडरकट के नाम से भी जाना जाता है। संतोष ने बताया कि उसको दस दिनों में अपनी कला दिखाने का मौका उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान केंद्र में मिला। जहां उसकी कलाकारी को देखकर राज्य पुरस्कार के लिए चयनित किया गया। वर्तमान में संतोष तीस वर्ष का हो रहा है। लेकिन उसने इस उम्र में ही इस ख्याति को प्राप्त कर लिया। संतोष के पिता खेती बाड़ी करते है। लेकिन उसने इस शिल्प की कला के बारे में अपने चाचा फिरंगी लाल से सिखा है। ज्ञात हो कि फिरंगी लाल गुप्ता देश से विदेश तक अपनी ख्याति बटोरे हुए हैं। जो कि वर्तमान समय में उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान केंद्र में बच्चों को ट्रेनिग भी देते है। फिरंगी लाल गुप्ता ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविद, राज्यपाल सत्यपाल मलिक, अभिनेता मुकेश खन्ना, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तक को अपनी कला से आकर्षित कर चुके हैं। उन्होंने देश के अलावा मॉरिशस से लेकर चीन के वीजिग शहर तक अपने कला का जौहर दिखा चुके हैं। अब वो अपने भतीजे को इस कला में उतार रहे है। जहां अब इस कला में उसके भतीजा संतोष भी माहिर हो रहा है। अपने चाचा की बनाई हुई राह पर अब संतोष चल रहा है। जहां पहली बार उसको कोई पुरस्कार मिलने जा रहा है। संतोष ने बताया कि वो पत्थर को काटकर हाथी के अंदर हाथी बनाने का कार्य करता है। इसके अलावा उसने कई चीजें बनाई है। इस कला में उसके चाचा फिरंगी माहिर है। उन्ही से प्रेरित होकर उसने इस क्षेत्र में अपना कदम रखा। जहां अब वो इस कला में माहिर हो चुका है। बहरहाल पुरस्कार के लिए नाम चयन होने के बाद से वो काफी खुश है। इसको जानकार उसके परिजन भी काफी खुश है।