कविता देश की संस्कृति है, परंपरा है
भभुआ। देश के जाने-माने कवि डॉ. हरिओम पवार जब मंच पर आए तो पूरी महफिल में एक गजब उत्साह देखने को म
भभुआ। देश के जाने-माने कवि डॉ. हरिओम पवार जब मंच पर आए तो पूरी महफिल में एक गजब उत्साह देखने को मिला। सबसे अंत में अपना कार्यक्रम प्रस्तुत करने आए डॉ. हरिओम पवार ने उपस्थित लोगों से रूबरू हो कर अपना परिचय दिया। डॉ. हरिओम पवार ने लगातार एक घंटा तक अपनी कविता पढ़ कर लोगों को बैठने पर मजबूर कर दिया। इसके बाद उन्होंने अपनी कविताओं से ऐसी समां बांधी की देर रात होने के बाद भी एक भी व्यक्ति के पांव घर की ओर नहीं बढ़े। देश भक्ति से लेकर राजनीति पर एक से बढ़ कर एक कविता सुना कर डॉ. हरिओम पवार ने उपस्थित लोगों के पांवों को बांध दिया। उन्होंने कहा कि कविता देश की संस्कृति है, परंपरा है। उन्होंने कवि सम्मेलन कार्यक्रम के आयोजन के लिए दैनिक जागरण परिवार को धन्यवाद देते हुए कहा कि आज के समय में भारत की संस्कृति और परंपरा को कायम रखने के लिए यह कदम काफी सराहनीय है। उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक पर कविता सुना कर लोगों के अंदर देश भक्ति का जुनून पैदा कर दिया। उन्होंने अपनी कविताओं से देश की सुरक्षा में तैनात जवानों की प्रशंसा से लेकर शहीद हुए जवानों के सम्मान में कविताएं सुनाई। उन्होंने वर्तमान में राजनीति परि²श्य पर जम कर कटाक्ष किया।