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यहां तीन पीढिय़ों से था जेपी का संबंध, जानिए पिता के नाम के पीछे का ये राज

लोकनायक जयप्रकाश नारायण के परिवार की तीन पीढ़ियों का संबंध कैमूर जिले से रहा है। उनके दादा ने उनके पिता का नाम हरसू दयाल क्यों रखा था? इसके पीछे का राज जानने के लिए पढ़ें ये खबर...

By Kajal KumariEdited By: Published: Thu, 11 Oct 2018 09:40 AM (IST)Updated: Thu, 11 Oct 2018 11:28 PM (IST)
यहां तीन पीढिय़ों से था जेपी का संबंध, जानिए पिता के नाम के पीछे का ये राज
यहां तीन पीढिय़ों से था जेपी का संबंध, जानिए पिता के नाम के पीछे का ये राज

कैमूर [अशोक कुमार पांडेय]। 11 अक्टूबर 1902 को जन्मे लोकनायक जयप्रकाश नारायण के परिवार का कैमूर जिले की कम से कम तीन पीढिय़ों से संबंध था। उनके दादा ने उनके पिता हरसू दयाल का नाम जिले के चैनपुर प्रखंड में मौजूद हरसू ब्रह्म धाम के नाम पर रखा था। जेपी के पिता ब्रिटिश सरकार की सेवा के अंतर्गत जिलेदार के रूप में कुदरा प्रखंड के बसहीं में कार्यरत थे।

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जहां जयप्रकाश नारायण का बचपन बीतने की बात बताई जाती है। कलम के जादूगर के नाम से ख्यातिप्राप्त साहित्यकार रामवृक्ष बेनीपुरी ने 'जयप्रकाश' नामक अपनी पुस्तक में जेपी की जीवनी लिखते हुए बताया है कि उनके दादा बाबू देवकी नंदन लाल अंग्रेजी राज में दारोगा थे।

जब उन्हें लंबे समय तक संतान की प्राप्ति नहीं हुई तो उनकी धर्मपत्नी ने कैमूर के प्रसिद्ध हरसू ब्रह्म धाम में मन्नत मानी। तदोपरांत उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। पुत्र प्राप्ति को हरसू ब्रह्म की कृपा जान उनका नाम हरसू दयाल रखा गया।

बसहीं में अफसर थे जेपी के पिता

जयप्रकाश नारायण के पिता हरसू दयाल ब्रिटिश सरकार के अधीन सिंचाई विभाग की सेवा में बसहीं में अधिकारी के रूप में कार्यरत थे। बसावन नाम से भी ज्ञात बसहीं अंग्रेजी राज में प्रमुख प्रशासनिक केंद्र हुआ करता था।

तब के अफसरों व कर्मियों के सरकारी आवासों के ध्वंसावशेष आज भी बसहीं में मौजूद हैं। उन्हीं आवासों में एक मकान के बारे में बताया जाता है कि उसी में हरसू दयाल जी अपने परिवार के साथ रहा करते थे। जेपी का बचपन अपने पिता के साथ इस मकान में गुजरा था।

अफसोस की बात यह है कि बसहीं में जयप्रकाश नारायण की स्मृतियों को सहेजने की कोशिश पर्याप्त रूप से नहीं की गई। उनके पिता का सरकारी आवास कब का खंडहर बन चुका होता। लेकिन वह सिर्फ इसलिए अभी भी खड़ा है क्योंकि गांव की ही एक विधवा ने उसमें अपने परिवार के साथ आश्रय ले रखा है। 

सिंचाई विभाग ने दिया था जयप्रकाश नगर नाम

जेपी की स्मृतियों को सहेजने का एक गंभीर प्रयास वर्ष 2002 में तत्कालीन जल संसाधन मंत्री जगदानंद के कार्यकाल में सिंचाई विभाग द्वारा किया गया था। उस समय नहरों के प्रबंधन को कृषक समितियों को सौंपने के उद्देश्य से बसहीं में एक बड़ा कार्यक्रम हुआ था।

कार्यक्रम के दौरान भाषणों में ही नहीं बल्कि दस्तावेजों में भी इस स्थान को जयप्रकाश नगर कह कर संबोधित किया गया था। बसहीं में मौजूद सिंचाई विभाग के कार्यालय भवन व सूचनापट्टों पर भी जगह का नाम जयप्रकाश नगर ही तब लिखा होता था।


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