पांच वर्षों में जिले के मात्र 95 बच्चों को मिल सका परवरिश योजना का लाभ
आइसीडीएस के पदाधिकारियों की लापरवाही से वंचित हो रहे लाभुक - लाभुकों को प्रतिमाह दिए जाते हैं एक हजार रुपए जागरण संवाददाता भभुआ जिले में आइसीडीएस पदाधिकारियों की लापरवाही के कारण परवरिश योजना की गति काफी धीमी है। यहां पांच वर्ष बीत जाने के बाद अब तक मात्र 95 बच्चों को ही इस योजना का लाभ मिल रहा है। मिली जानकारी के
जिले में आइसीडीएस पदाधिकारियों की लापरवाही के कारण परवरिश योजना की गति काफी धीमी है। यहां पांच वर्ष बीत जाने के बाद अब तक मात्र 95 बच्चों को ही इस योजना का लाभ मिल रहा है। मिली जानकारी के अनुसार जिले में यह योजना 2016 में शुरू हुई थी। इस योजना के तहत अनाथ व बेसहारा बच्चों को सहायता देने के लिए सरकार पहल की। इस योजना में चयन होने वाले लाभुक बच्चों को परवरिश योजना के तहत एक हजार रुपए की राशि दिए जाने का प्रावधान है। लेकिन बाल विकास परियोजना पदाधिकारियों व आंगनबाड़ी सेविकाओं द्वारा अपने-अपने क्षेत्रों में इस योजना के योग्य बच्चों की तलाश समय-समय पर नहीं की जा रही है। इस वजह से जिले के बहुत सारे योग्य बच्चों को इस योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसके अलावा विभाग स्तर पर इस योजना के प्रचार प्रसार के संबंध में समुचित व्यवस्था नहीं कराई जा रही। इसके चलते अधिकांश लोग इस योजना के बारे में जानकारी नहीं रख पा रहे हैं। बीते दिनों डीएम डॉ. नवल किशोर चौधरी ने परवरिश योजना की समीक्षा बाल संरक्षण इकाई की समिति की बैठक में की। जिसमें समीक्षा के दौरान जिलाधिकारी ने पाया कि अब तक जिले में मात्र 95 बच्चों को ही इस योजना के तहत लाभ प्रदान किया जा रहा है। जो काफी कम है। उन्होंने इसके लिए निर्देश दिया कि यह संख्या काफी असंतोषजनक है। समीक्षा के क्रम में अधौरा, रामपुर, चांद, नुआंव एवं कुदरा प्रखंड क्षेत्र में लाभुकों की संख्या कम होने पर कहा कि योजना के लाभ के लिए प्रचार प्रसार कराया जाए। बता दें कि आंगनबाड़ी सेविका व सीडीपीओ द्वारा इस योजना के लाभुकों का चयन कर स्वीकृति के लिए आवेदन अनुमंडल पदाधिकारी को भेजा जाता है। एसडीएम प्राप्त आवेदनों को स्वीकृति के उपरांत सहायक निदेशक बाल संरक्षण इकाई को भेजते हैं। समस्त कार्रवाई पूरा होने के बाद चयनित लाभुक को इस योजना का लाभ प्रदान किया जाता है।
परवरिश योजना में इन्हें मिलता है योजना का लाभ -
बिहार सरकार द्वारा यह योजना समाज कल्याण निदेशालय द्वारा संचालित की जा रही है। जिसे जिला स्तर पर बाल संरक्षण इकाई के द्वारा चलाई जाती है। इस योजना के तहत लाभ पाने वाले लाभुक बच्चों को प्रतिमाह एक हजार की राशि मिलती है। परवरिश योजना के तहत बेसहारा अनाथ कुष्ठ रोग से पीड़ित व एचआइबी से ग्रसित बच्चों को उनके जन्म से लेकर 18 वर्ष आयु के बच्चों को इस योजना का लाभ दिया जाता है। इसमें बच्चे का पालन-पोषण करने वाले अभिभावक व बच्चे का संयुक्त रूप से खाता खुलवाया जाता है। जिले के अनाथ व बेसहारा व कुष्ठ पीड़ित रोग से बच्चे योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन को सीडीपीओ कार्यालय व आंगनबाड़ी सेविकाओं के पास जमा करना है। प्राप्त आवेदन के आलोक में जांचोपरांत स्वीकृति के लिए आइसीडीएस पदाधिकारी के यहां से एसडीएम के पास भेजा जाता है।
क्या कहते हैं पदाधिकारी -
इस संबंध में पूछे जाने पर बाल संरक्षण इकाई के निदेशक संतोष कुमार चौधरी ने बताया कि सभी बाल विकास परियोजना पदाधिकारियों को इस दिशा में कार्रवाई करने के लिए कहा गया है। ताकि योग्य बच्चों का चयन कर उन्हें योजना का लाभ दिया जाए।
अब तक लाभ लेने वाले बच्चों की प्रखंडवार संख्या-
भभुआ - 13
भगवानपुर - 6
चांद - 2
चैनपुर - 23
रामपुर - 5
अधौरा - 0
मोहनियां - 14
रामगढ़ - 15
नुआंव - 0
कुदरा - 5
दुर्गावती - 12