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कुदरा नदी में बदस्तूर जारी है बालू का अवैध खनन

कैमूर जिला में बालू माफियाओं की चांदी कट रही है। सरकार को प्रतिदिन लाखों रुपये का च

By JagranEdited By: Published: Wed, 09 Jan 2019 01:22 AM (IST)Updated: Wed, 09 Jan 2019 01:22 AM (IST)
कुदरा नदी में बदस्तूर जारी है बालू का अवैध खनन
कुदरा नदी में बदस्तूर जारी है बालू का अवैध खनन

कैमूर जिला में बालू माफियाओं की चांदी कट रही है। सरकार को प्रतिदिन लाखों रुपये का चूना लग रहा है।नदियों से बालू का अवैध खनन बदस्तूर जारी है। इसे देखकर ग्रामीण भी हैरान हैं। उनका कहना है कि बिना खनन विभाग के पदाधिकारियों की मिलीभगत के ऐसा संभव नहीं हो सकता। स्थानीय प्रखंड के मछनहटा गांव के समीप कुदरा नदी में प्रतिदिन पानी में बालू का अवैध खनन होता है। यहां से प्रतिदिन 25 से 30 ट्रैक्टर बालू निकलता है। बालू माफिया काफी गहराई से बालू निकलवा रहे हैं। इस अवैध कारोबार पर न तो खनन विभाग की नजर है नहीं स्थानीय पदाधिकारियों की। जबकि सरकार द्वारा बालू के अवैध कारोबार पर रोक लगाने की बात कही जा रही है। इसके लिए खनन विभाग के पदाधिकारियों को जिम्मेदार बनाया गया है। इन्हें बालू के अवैध खनन पर नजर रखना है। लेकिन मोहनियां में बालू माफियाओं के आगे प्रशासनिक तंत्र पंगु बना हुआ है। इससे जाहिर होता है की माफियाओं को कानून का भय नहीं है या उन्हें भरोसा है कि प्रशासन उनके रास्ते में रोड़ा नहीं बन सकता। लंबे समय से मछनहटा गांव के समीप कुदरा नदी में बालू का अवैध खनन जारी है इस नदी से इतना अधिक बालू की निकासी हुई है कि जगह जगह 20-20 फीट तक गहरे गड्ढे बन गए हैं। ग्रामीणों की मानें तो यहां प्रतिदिन सुबह से लेकर देर रात तक बालू का अवैध खनन होता है। सूचना के बाद भी खनन विभाग के पदाधिकारी बालू माफियाओं पर लगाम कसने में विफल रहे हैं। इससे जाहिर होता है कि कहीं ना कहीं इस अवैध कारोबार में उनका भी सहयोग मिल रहा है। तभी तो यह अवैध धंधा परवान पर है। ग्रामीणों को इस बात का भय है कि नदी में जगह-जगह बने गहरे गहरे गड्ढे उनके लिए जानलेवा साबित हो सकते हैं। गत वर्ष मोहनियां के एसडीएम ने डीएसपी के साथ कुदरा व दुर्गावती थाना क्षेत्र में छापेमारी कर नदी में हो रहे बालू के अवैध खनन को पकड़ा था। इस दौरान बालू लदे ट्रैक्टर भी जप्त हुए थे। पदाधिकारियों को देख नदी में खड़े एक दर्जन से अधिक ट्रैक्टरों को चालक लेकर भागने में सफल रहे थे। बालू माफिया समय समय पर प्रशासन को भी चुनौती देते रहते हैं। इनका नेटवर्क इतना मजबूत है की प्रशानिक पदाधिकारियों के बालू घाट पर पहुंचने से पहले ही उन तक खबर पहुंच जाती है। इसके बाद आनन फानन में वहां से ट्रैक्टर निकल जाते हैं। अधिकारी खाली हाथ लौट जाते हैं।

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