ठंड में नवजातों के स्वास्थ्य को लेकर स्वास्थ्य विभाग सतर्क
ठंड में नवजातों के स्वास्थ्य को लेकर स्वास्थ्य विभाग सतर्क - कंगारू मदर केयर की शुरुआत कर नवजातों की देखभाल को कवायद - चिह्नित कमजोर नवजातों की देखभाल के लिए आशा व एएनएम कर रही प्रयास जासं भभुआ नवजात में अधिक ठंड या गर्मी के कारण स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ने का खतरा रहता है। जिसे चिकित्सकीय भाषा में हाइपोथर्मिया कहा जाता है। सही समय पर हाइपोथर्मिया के प्रबंधन नहीं किए जाने पर नवजात की जान
नवजात में अधिक ठंड या गर्मी के कारण स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ने का खतरा रहता है। जिसे चिकित्सकीय भाषा में हाइपोथर्मिया कहा जाता है। सही समय पर हाइपोथर्मिया के प्रबंधन नहीं किए जाने पर नवजात की जान भी जा सकती है। नवजातों को इस तरह की बीमारी से बचाने के लिए जिले का स्वास्थ्य विभाग सतर्क हो चुका है। स्वास्थ्य विभाग के स्तर से 'कंगारू मदर केयर'(केएमसी) की शुरुआत की गई है। जो इस बीमारी से बचाव में काफी मददगार साबित हो सकता है। कंगारू मदर केयर के तहत मां या घर का कोई भी सदस्य नवजात को अपनी छाती से चिपकाकर नवजात को शरीर की गर्मी प्रदान करते है। इससे नवजात को हाइपोथर्मिया से उबरने में सहायता मिलती है। सिविल सर्जन डॉ. अरुण कुमार तिवारी ने बताया कि दो किलोग्राम से कम वजन के बच्चों को कमजोर नवजात की श्रेणी में रखा जाता है। जिन्हें सघन देखभाल की जरूरत होती है। कमजोर बच्चों की उचित देखभाल के लिए जिला में कमजोर नवजात देखभाल कार्यक्रम भी चलाया जा रहा है। इस कार्यक्रम के तहत आशा एवं एनएनएम चिह्नित कमजोर नवजातों को उनके घर पर ही विशेष देखभाल प्रदान करती है। कमजोर नवजातों की उचित देखभाल की कड़ी में 'कंगारू मदर केयर' का़फी असरदार प्रक्रिया होती है। इससे नवजात को हाइपोथर्मिया से बचाव के साथ नवजात के वजन में वृद्धि होती है। साथ ही इससे उनके बेहतर शारीरिक विकास में भी सहयोग मिलता है। डबल्यूएचओ के अनुसार जन्म के समय दो किलोग्राम या उससे कम वजन वाले नवजात शिशुओं को निरंतर रूप से कंगारू मदर केयर प्रदान किया जाना चाहिए। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हाल में ही प्रतिवर्ष सबसे अधिक अपरिपक्व जन्म ( 37 सप्ताह से पूर्व शिशु जन्म) वाले 10 देशों की सूची जारी की है। इसमें भारत 35.19 लाख संख्या के साथ सूची में सबसे ऊपर है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का मानना है कि सभी जन्मों में से 10 से 15 प्रतिशत जन्म अपरिपक्व होते हैं। इस अनुसार बिहार में प्रत्येक वर्ष 28.65 लाख जीवित जन्म में से लगभग 3.80 लाख बच्चे जन्म के समय अपरिपक्व होते हैं। अपरिपक्व या समय से पूर्व जन्में बच्चों में समस्याओं से बचाव के लिए कंगारू मदर केयर बेहद कारगर साबित हो सकता है।