धीरे-धीरे घट रहा नदियों का जलस्तर, बाढ़ का कहर जारी
रामगढ़ में बाढ़ के कहर से हर कोई बेजार हो गया है। जिस कारण दशहरा पर्व फीका पड़ता दिख रहा है।
रामगढ़ में बाढ़ के कहर से हर कोई बेजार हो गया है। जिस कारण दशहरा पर्व फीका पड़ता दिख रहा है। लगातार छठवें दिन तक किसानों के हजारों एकड़ खेतों में लगी फसल अभी भी डूबी हुई है। बस सामान्य हुआ है तो केवल रामगढ़ मोहनियां पथ पर आवागमन। हालांकि शुक्रवार की दोपहर तक दैतरा बाबा स्थान के पुलिया पर एक फीट बाढ़ का पानी बह रहा था। लेकिन इससे किसी तरह के आवागमन पर असर नहीं पड़ा। निरंतर वाहनों की आवाजाही शुरू होने का अंदेशा बना हुआ है। छह दिनों तक लोगों को पार लगाने के लिए संचालित नाव को भी नाविक लेकर चले गए। बाढ़ ने उनकी आमदनी बढ़ा दिया था। धीरे-धीरे नदियों के जलस्तर में कमी होने से डूबी फसल को बचने का अंदेशा खत्म होता दिख रहा है।
सिसौड़ा कलानी चंडेश मार्ग 12 वें दिन भी बाढ़ के कारण बंद है। कान्हीं जमुरना मार्ग भी अभी बंद है। कान्हीं के लोग अभी भी नाव से पार हो रहे हैं। गांव के रवि सिंह, विजय बहादुर सिंह आदि लोगों ने बताया की नरहन जमुरना पंचायत के मुखिया द्वारा नाव उपलब्ध करा दी गई थी। अन्यथा पटना की तरह हमलोग गांव में ही घिरे रहते। इस मार्ग पर अभी भी बाढ़ का चार फीट पानी बह रहा है। फसलों के डूबे होने के कारण प्रशासन क्षतिपूर्ति का आकलन नहीं कर पा रहा है। रामगढ़ बड़ौरा मार्ग भी बाढ़ के पानी से खाली होने की स्थिति में आ गया है। देर शाम तक सभी मार्गों पर वाहनों के परिचालन शुरू होने की संभावना बन रही है। धान सब्जी भदई फसल के अलावा बागीचे भी इस बाढ़ की भेंट चढ़ गए। हथिया नक्षत्र में भयंकर बाढ़ डूबी फसलों के थोड़ा भी बचने के अरमानों का चकनाचूर कर दिया है। किसान लाचार है। भाजपा राष्ट्रीय किसान मोर्चा के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य संजय सिंह ने कहा कि अन्नदाता के रूप में पहचान स्थापित करने वाले किसानों के साथ केवल राजनीति होती रही है। अब जरूरत है किसानों को उनकी डूबी फसल को पूरी लागत खर्च के साथ मुआवजा देने का। उन्होंने केंद्र व राज्य सरकार से मांग किया है कि एक एक इंच डूबी फसल का कृषि विभाग आकलन कर सरकार को रिपोर्ट सौंपे। सरकार इन किसानों के जख्म पर मरहम नहीं लगाई तो इसको लेकर आंदोलन भी शुरू कर दिया जाएगा।