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सूख रहे धान के पौधों को बचाने में किसान परेशान

सूख रहे धान के पौधों को बचाने में किसान परेशान

By JagranEdited By: Published: Tue, 23 Aug 2022 05:59 PM (IST)Updated: Tue, 23 Aug 2022 05:59 PM (IST)
सूख रहे धान के पौधों को बचाने में किसान परेशान
सूख रहे धान के पौधों को बचाने में किसान परेशान

सूख रहे धान के पौधों को बचाने में किसान परेशान

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रामगढ़: बारिश की तीन प्रमुख नक्षत्रों के बीतने के बाद भी खेतों की प्यास नहीं बुझ सकी। पानी की आस में लोगों की आंखें पथरा गई, पर इंद्र भगवान मेहरबान नहीं हो सके। सुबह की लालिमा लिए निकलते सूर्य भगवान की किरणें से लोगों के होश उड़ा दे रही है। निजी साधन व किराया पर पानी लेकर धान के पौधे को बचाने में किसान परेशान हैं। फिर भी खेतों की प्यास नहीं बुझ पा रही है। धान के कटोरा कहे जाने वाले इस जिले में 90 प्रतिशत रोपनी का रिकार्ड केवल रामगढ़ के हिस्से गया है। वहीं मोहनियां प्रखंड में 65 प्रतिशत तक किसी तरह रोपनी होने की बात बताई जा रही है। पुख, पुनर्वसु, अश्लेषा तथा मघा नक्षत्र जो धान के लिए उपयुक्त नक्षत्र मानी जाती है वह नक्षत्र बिना बारिश के गुजर गई। अश्लेषा जैसे नक्षत्र में बारिश से घर मकान गिर जाते थे। बिना सबमर्सिबल वाले किसान बारिश होने की आस में किराए पर पानी लेकर खेतों की जोताई कर धान के पौधे लगा दिए हैं वे अब पश्चाताप कर रहें हैं। बारिश नहीं होने से खेतों में रोपे गए धान के पौधे को सूखते देख गड्ढा का पानी इकट्ठा कर डीजल पंप के सहारे पानी निकाल खेत को केवल भींगों रहे हैं तथा उम्मीद कर रहे हैं कि अब भी बारिश हो जाएगी तो कुछ न कुछ धान जरुर उपज जाएगा। बारिश की आस में घर का कोठिला भी खाली हो गया। फिर भी उसकी लागत लौट जाए तो बड़ी बात होगी। रामगढ़ मोहनियां पथ के चौरसिया से दक्षिण सिवाना में खेतों को परती देख किसानों का कलेजा चाक हो जा रहा है। पनसेरवां के किसान मुनीब राम, रामदयाल राम आदि लोगों ने बताया कि खेत मालगुजारी पर लिया गया है। बारिश होने की आस में खेतों में किराए पर पानी लेकर धान के पौधे लगा दिए। लेकिन धान के पौधे लगाने के बाद से बारिश के लिए आसमान की ओर टकटकी लगाए हुए हैं। लेकिन बारिश नहीं हो सकी। अब तो छोड़ते भी नहीं बन रहा है। थक हार कर रोपे हुए धान के पौधे को जिंदा रखने के लिए जहां तहां से पानी इकट्ठा कर सिंचाई कर रहें हैं। ओपेन बोरिंग सब बंद हो गया है। सबमर्सिबल केवल चल रहा है। वह भी पहले अपने खेत की सिंचाई करने में व्यस्त है। ऐसी स्थिति देख यही सोच रहे हैं कि खेत परती छोड़ दिया गया होता तो बेहतर रहता। कम से कम एक फसल रबी की बोआई तो ससमय होती। अब तो धान भी गया गेहूं की फसल भी मारी जाएगी।


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