अतिक्रमण से सिकुड़ा गोबरछ गांव का तालाब
जिला मुख्यालय से कुछ ही दूरी पर स्थित गोबरछ गांव में स्थित तालाब अतिक्रमण के कारण अब अवशेष मात्र रह गया है।
जिला मुख्यालय से कुछ ही दूरी पर स्थित गोबरछ गांव में स्थित तालाब अतिक्रमण के कारण अब अवशेष मात्र रह गया है। पूर्व में ग्रामीणों के लिए यह काफी उपयोग था। लेकिन बढ़ती जनसंख्या और जरूरतों के चलते लोग इस तालाब को पाटना शुरू किया। इससे आज तालाब के नाम पर मात्र कुछ डिसमिल जमीन बची है। इस तालाब की अनदेखी ग्रामीणों के साथ-साथ पंचायत सरकार द्वारा भी की जा रही है। ग्रामीण इस तालाब के अस्तित्व को बचाने की बजाए इसके अस्तित्व को मिटाने पर तुले हुए हैं। तालाब के चारों तरफ गंदगी का अंबार और अतिक्रमण की मार है। इसके चलते तालाब का क्षेत्रफल काफी सिमट गया है। आज तालाब में पानी भी नहीं है। इसके चलते ग्रामीणों को मवेशियों को पानी पीलाना काफी कठिन हो गया है। वृद्ध ग्रामीण बताते हैं कि एक समय था जब इस तालाब से पूरे गांव के घरों में कई कार्य किए जाते थे। इस तालाब के पानी का उपयोग भोजन बनाने में भी किया जाता था। गांव में आने वाले नाते रिश्तेदार घूमने के लिए तालाब के पास जाते थे और काफी समय तक बैठ कर आपस में बात करते थे। तालाब के चारों तरफ पेड़-पौधा होने के चलते पूर्व में लोग गर्मी के दिनों में बैठ कर आराम करते थे। लेकिन आज तालाब के किनारे लगे पेड़ पौधा काट दिए गए। तालाब को धीरे-धीरे पूरी तरह पाट दिया गया है। जिसके चलते आज इस तालाब का अस्तित्व खतरे में है। लेकिन न ही ग्रामीण तालाब को बचाने के लिए आगे आ रहे हैं और न ही पंचायत स्तरीय जनप्रतिनिधि। कोई इस तालाब के बारे में जिला प्रशासन तक सूचना भी नहीं पहुंचाता ताकि प्रशासनिक पदाधिकारी भी कुछ पहल कर सके। क्या कहते हैं लोग -
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विनित कुमार- तालाबों की अनदेखी आज के लोगों के लिए ही मुसीबत बन रही है। हर साल पेयजल संकट उत्पन्न हो रहा है। पशु पक्षियों को भी पानी के लिए परेशान होना पड़ रहा है। तालाबों को अतिक्रमणमुक्त कराना आवश्यक है नहीं तो आने वाले समय में पशु पक्षी कहीं-कहीं दिखेंगे। फोटो नंबर- 13
दीपक गुप्ता - गोबरछ गांव में तालाब अतिक्रमण की चपेट में हैं। लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं है। तालाब को अतिक्रमणमुक्त कराने के लिए प्रशासन को शीघ्र कार्रवाई करनी चाहिए। नहीं तो लोग जो शेष तालाब का क्षेत्र बचा है उसे भी नहीं छोड़ेंगे।