प्रदूषण फैलाने वाली फैक्ट्रियों पर प्रदूषण विभाग हुआ सख्त
कैमूर। सरकार की नई उद्योग नीति के बाद दुर्गावती में एक - एक कर छोटे बड़े कई उद्योग लगे
कैमूर। सरकार की नई उद्योग नीति के बाद दुर्गावती में एक - एक कर छोटे बड़े कई उद्योग लगे और कई उद्योग लगने की स्थिति में हैं। दुर्गावती में उद्योगों के लगने के बाद लोगों को रोजगार नसीब नहीं हुआ। मगर यहां के लोगों को प्रदूषण की मार खानी पड़ रही है। दैनिक जागरण ने सात फरवरी को शीर्षक 'रोजगार कम, प्रदूषण अधिक फैला रही फैक्ट्रियां' को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। इस खबर के बाद बिहार प्रदूषण परिषद ने प्रदूषण फैला रही फैक्ट्रियों की जांच में जुटा। इस दौरान प्रदूषण विभाग ने दुर्गावती में स्थित इको सीमेंट फैक्ट्री से फैल रहे प्रदूषण का सैंपल लेकर जांच में जुटा है। अभी जांच रिपोर्ट आने में एक सप्ताह का वक्त लगेगा। गौरतलब है कि यहां सीमेंट की एक फैक्ट्री दो वर्षो से उत्पादन कर रही है। जबकि तीन अन्य सीमेंट फैक्ट्रियों के लगने का प्रस्ताव है। रिहायती व कृषि क्षेत्र में सबसे अधिक प्रदूषण फैलाने वाली सीमेंट की फैक्ट्रियां तेजी से लग रही है। प्रदूषण के सवाल पर स्थानीय लोगों, प्रशासन और प्रदूषण विभाग के बीच लोक सुनवाई होती है। सूत्रों की माने तो इस लोक सुनवाई में स्थानीय आम लोगों को जानकारी देने के बजाय आम लोगों के नाम पर कुछ खास लोगों को बुलाकर प्रक्रिया पूरी कर ली जाती है। यहां बता दे कि जब दुर्गावती में चार-पांच किमी के दायरे में सीमेंट की जब चार फैक्ट्रियां लगेगी तो आठ - दस किमी के दायरे में रहने वाले लोगों और कृषि पर बुरा असर पड़ेगा। क्योंकि इन फैक्ट्रियों से धूल काफी मात्रा में उड़ेगा। कुछ फैक्ट्रियों में धान की भूसी जलायी जाती है। जो चिमनी के माध्यम से उड़कर आस पास के लोगों के ऊपर गिरता है। ऐसे में रूचि सोया फैक्ट्री का नाम बार बार आता है। स्थानीय लोगों ने इस प्रदूषण के खिलाफ प्रशासन से लेकर फैक्ट्री के गेट पर गुहार लगा चुके हैं। बहरहाल नियम के अनुसार जिस जगह पर सीमेंट की फैक्ट्री लगती है। फैक्ट्री प्रबंधन के द्वारा फैक्ट्री के चारो तरफ पौधा लगाना और पानी का छिड़काव करना होता है। साथ ही फैक्ट्री के अंदर ऐसे यंत्र लगाने होते हैं जिससे प्रदूषण न फैले। फैक्ट्रियों से फैल रहे प्रदूषण के सवाल पर छांवों गांव के मुन्ना सिंह, गजानंद यादव, नुआंव के आनंद सिंह, कुड़ारी के पटवारी राम ने बताया कि जब इको सीमेंट फैक्ट्री रात में चलती है तो उसका धूल उड़कर मकान पर, फसल पर गिरता है। गर्मी के मौसम में आस पास के लोग खुले आसमान के नीचे नहीं सोते। फसलों पर धूल की मोटी परत चढ़ जाती है। अगर इसी तरह अधिक प्रदूषण फैलाने वाली सीमेंट की फैक्ट्रियां खुलती रही तो दुर्गावती का पूरा इलाका बंजर हो जायेगा। रूचि सोया फैक्ट्री के चिमनी से जले धान की भूसी का कण उड़ने से कर्णपुरा गांव पर बुरा असर डाल रहा है। एक तो लोग छत के ऊपर नहीं सोते और कपड़ा नहीं फैलाते। अगर कण आंख में चला गया तो आंख भी खराब हो जाती है। हालांकि राज्य प्रदूषण परिषद ने जागरण में खबर छपने के बाद प्रदूषण फैला रही फैक्ट्री का प्रदूषण जांच में जुटा है।