बाढ़ के कारण इलाज में हुई देरी, गर्भवती की मौत
लगातार बारिश और कर्मनाशा नदी में मूसाखाड़ बांध से 16 हजार घनमीटर पानी छोड़े जाने से पजरांव गांव बाढ़ की चपेट में आ गया। उसी दौरान एक महिला को प्रसव पीड़ा हुई। टापू बन चुके गांव से अस्पताल ले जाने में विलंब हुआ और पेट में बचे के साथ ही गर्भवती की भी मौत हो गई।
लगातार बारिश और कर्मनाशा नदी में मूसाखाड़ बांध से 16 हजार घनमीटर पानी छोड़े जाने से पजरांव गांव बाढ़ की चपेट में आ गया। उसी दौरान एक महिला को प्रसव पीड़ा हुई। टापू बन चुके गांव से अस्पताल ले जाने में विलंब हुआ और पेट में बच्चे के साथ ही गर्भवती की भी मौत हो गई। डब्ल्यू चौधरी पंजरांव गांव के निवासी हैं। सोमवार को उनकी पत्नी मतरानी देवी को प्रसव पीड़ा हुई। परिजन और पड़ोसी उन्हें निजी नाव से अस्तपाल ले जाने के लिए निकले। गांव से मुख्य सड़क (चौसा-मोहनियां पथ) तक आने में ही काफी समय लग गया। वहां नाव छोड़कर सभी निजी वाहन से मतरानी को रामगढ़ बाजार में अस्तपाल ले आए, लेकिन उससे पहले ही उनकी मौत हो चुकी थी। पजरांव गांव में मातमी सन्नाटा है और ग्रामीण व्यवस्था को कोस रहे। स्थानीय प्रशासन इसे स्वाभाविक मौत बताकर अपना पल्ला झाड़ ले रहा है। मोहनियां के अनुमंडल पदाधिकारी शिव कुमार राउत तो गोलमटोल बात करते हैं। कहते हैं कि बाढ़ प्रभावित इलाकों के अंचलाधिकारियों से नुकसान की रिपोर्ट मांगी गई है। उस आधार पर ही मदद दी जाएगी। पजरांव गांव में हुई घटना की कोई जानकारी नहीं। अंचलाधिकारी से जानकारी मिलने पर ही कुछ कहा जा सकता है।