वन विभाग के खाते में राशि, संरक्षण के अभाव में जा रही हिरणों की जान
कैमूर जिले में हिरणों को दिन प्रतिदिन नुकसान पहुंचाया जा रहा है।
कैमूर जिले में हिरणों को दिन प्रतिदिन नुकसान पहुंचाया जा रहा है। हिरणों को मारकर उनके मांस को बाजारों में बेचना व मांस को घरों में बनाकर आसपास के लोगों को दावत देना आम बात हो गई है। ऐसा करने वाले लोगों को थोड़ी सी भी दया नहीं आ रही। वन विभाग की ओर से कई कानून भी बने हैं। इसमें जीव जंतुओं को नुकसान पहुंचाने पर उम्र कैद से लेकर कई अन्य सजा के भी प्रावधान है। फिर भी लोग कानून की परवाह न करते हुए लोग लगातार वन के जीव जंतुओं को नुकसान पहुंचा रहे हैं। यह कार्य मोहनियां अनुमंडल के दुर्गावती, नुआंव, रामगढ़, मोहनियां व भभुआ प्रखंड के भभुआ बारे व रतवार में यह कार्य तेजी से हो रहा है, लेकिन वन विभाग इस पर कोई एक्शन नहीं ले रहा। सबसे बड़ी बात यह है कि वन विभाग के खाते में राशि होने के बाद भी हिरणों के संरक्षण के लिए अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया है। नतीजतन पिछले बीस दिनों से 20 हिरणों की जान जा चुकी है।
जानकारी के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2018-2019 में हिरणों के सरंक्षण के लिए कैमूर, भोजपुर व रोहतास को 20 लाख की राशि आवंटित की गई। भूमि के अभाव में हिरणों के लिए जिले में संरक्षण स्थल नहीं बनाया जा सका। इस बाबत डीएम को दो बार पत्राचार भी किया जा चुका है। बावजूद भूमि उपलब्ध कराने के लिए कोई पहल नहीं की गई। बताया गया कि मोहनियां अनुमंडल अंतर्गत रामगढ़ प्रखंड के जंगलछेरा में हिरणों के संरक्षण के लिए स्थल बनाने, उनके खाने के लिए नाद व अन्य चीजों का निर्माण कराया जाना है। वहीं, काला हिरण को सुरक्षित रखने के लिए बाइक सवार जवान भी गश्त में रहेंगे। जिससे कोई भी उनकी प्रजाति को नुकसान न पहुंचा सके। जिले के कई प्रखंडों में है काला हिरण
मैदानी क्षेत्र वाले जिले के कई प्रखंडों में काला हिरण पाए जाते हैं। इसके अलावा हिरण अन्य प्रजाति भी है। इन्हें कुत्ते व कई अन्य जानवरों से खतरा है। इसको ध्यान में रखते हुए केंद्र की ओर से हिरणों की सुरक्षा के लिए विशेष कदम उठाने का निर्देश मिला था। हालांकि विभाग के पास इसकी जानकारी नहीं है कि मैदानी क्षेत्र में हिरणों की संख्या क्या है। विभाग का दावा है कि मोहनियां अनुमंडल क्षेत्र के रामगढ़, दुर्गावती, नुआंव व मोहनियां क्षेत्र में काला हिरण व अन्य प्रजाति के हिरण हैं। हिरणों के सिग की मलिी है ऊंची कीमत
सूत्रों की मानें तो हिरणों के सिग की बाजार में ऊंची कीमत मिलती है। इसके लिए हिरणों को लोगों द्वारा टारगेट किया जाता है। हिरणों को मारकर बाजारों में सिग को बेच दिया जाता है और मांस को लोग बनाकर खा जाते है। क्या कहते हैं डीएफओ-
मोहनियां अनुमंडल में वन विभाग की जमीन नहीं है। इसके लिए डीएम को दो बार पत्र लिखा जा चुका है। हिरणों की सुरक्षा के लिए वन विभाग की ओर से टीम बनाई गई है। टीम वन प्रक्षेत्र में गश्त कर रही है। पिछले बीस दिनों से 20 हिरणों के मरने की सूचना मिली है। इसमें ज्यादातर कुत्तों के द्वारा मारे जाने की सूचना है। अगर लोगों द्वारा हिरणों को मारने की सूचना मिलती है तो उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। राशि पड़ी हुई है जमीन मिलते ही संरक्षण स्थल बनाकर वन्य जीव जंतुओं को सुरक्षित रखने का प्रयास किया जाएगा। - विकास अहलावत, डीएफओ, कैमूर