बैंक ऑफ इंडिया परिसर से उखड़ा टेंट, धूप में खड़ा हो रहे ग्राहक
लॉकडाउन का मतलब होता है पूरी तरह से लॉक। लेकिन लॉक की बात तो दूर यहां फिजिकल डि
लॉकडाउन का मतलब होता है पूरी तरह से लॉक। लेकिन लॉक की बात तो दूर यहां फिजिकल डिस्टेंसिग भी लोग नहीं बना पा रहे हैं। बैंक ऑफ इंडिया के प्रबंधक द्वारा परिसर से टेंट हटवाने के बाद भी महिलाएं धूप में भी खड़ा रह रही हैं। जनधन खाता में आए पांच सौ रुपये निकालने के लिए बैंकों में भीड़ लग रही है। गुरुवार को बैंक ऑफ इंडिया की शाखा रामगढ़ में भगदड़ की स्थिति बन गई थी। बैंक के अंदर जितना ग्राहक थे उससे दस गुना ग्राहक बाहर खड़ा थे। उसमें से अधिकांश जनधन के खाताधारक महिलाएं थी। बैंक के अंदर जाने के लिए एक दूसरे के शरीर पर गिर रही थी। यहां फिजिकल डिस्टेंसिग का मतलब ही लोग नहीं समझ पा रहे हैं। बैंक की सुरक्षा में लगे पुलिस कर्मी भी लाचार दिख रहे हैं। जो जनधन के खाताधारक कभी बैंक का मुंह नहीं देखने आते थे वे अब लाइन में लग कर सरकार द्वारा मिली राशि लेने को कड़ी धूप में बाहर खड़े हैं। पहले लोगों को धूप से बचाने के लिए बाहर टेंट लगाया गया था। उसे भी अब हटा लिया गया है। फिजिकल डिस्टेंसिग के लिए बनाए गए चूना से गोलाकार निशान को भी लोगों ने तोड़ दिया। मौजूद पुलिस कर्मी भी महिलाओं के सामने बेबस दिखे। इस भीड़ के दौरान अधिकांश महिलाएं ही दिखी। जबकि कोरोना के खतरा को लेकर सबको दूरी बनाकर रहना है तथा मास्क लगाना भी अनिवार्य है। लेकिन यहां सब नियम ताक पर है। इस संबंध में बैंक ऑफ इंडिया के शाखा प्रबंधक हृदय लाल से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि भीड़ से हम खुद ही परेशान हैं। जनधन के खाताधारकों को बाद में भी पैसा मिल जाएगा की बात बताने पर भी वे नहीं मान रहे हैं।