निबंधन के पेंच में फंसी फसल सहायता योजना
किसानों को क्षतिग्रस्त फसलों के एवज में आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने की महत्वपूर्ण फसल सहायता योजना तकनीकी पेंच में फंसने के कारण लक्ष्य तक नहीं पहुंच पा रही है। नेटवर्क में गड़बड़ी व सर्वर डाउन होने का दंश किसान झेल रहे है।
किसानों को क्षतिग्रस्त फसलों के एवज में आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने की महत्वपूर्ण फसल सहायता योजना तकनीकी पेंच में फंसने के कारण लक्ष्य तक नहीं पहुंच पा रही है। नेटवर्क में गड़बड़ी व सर्वर डाउन होने का दंश किसान झेल रहे है। इसके चलते योजना के शुरू होने के दो माह बीत जाने के बाद भी मात्र लगभग दस हजार किसान ही आनलाइन निबंधन करा पाए है। अंगूठा के माध्यम से होने वाले निबंधन की रफ्तार बहुत धीमी है।
योजना से लाभ-
इस योजना में निबंधन होने के बाद जांच में 20 फीसदी फसल क्षतिग्रस्त होने पर प्रति किसान प्रति एकड़ तीन हजार व इससे अधिक क्षति होने की स्थिति में चार हजार प्रति एकड़ की दर से आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। एक किसान को पांच एकड़ तक का लाभ ही देय होगा।
जिले में किसानों की स्थिति-
कृषि विभाग के आकड़े के अनुसार जिले एक लाख 92 हजार रैयती किसान है। बीते वर्ष 32 हजार किसानों ने धान बिक्री के लिए निबंधन कराया था।
किसान व पैक्स अध्यक्षों का कथन-
सरकार की योजना की तारीफ करते हुए किसानों का कहना है कि निबंधन में एसपीसी व अन्य अभिलेखों की तैयारी में समय लग रहा है। सब पूरा होने पर भी अंगूठा के माध्यम से होने वाले निबंधन में नेटवर्क बाधक बन जा रहा है। पैक्स एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष ददन द्विवेदी का कहना है कि निबंधन की प्रक्रिया सरल करने पर अत्यधिक किसान फसल सहायता योजना का लाभ पा सकेंगे।
क्या कहते है अधिकारी- किसानों के निबंधन के लिए प्रखंड सहकारिता पदाधिकारियों को व्यापक रूप से निर्देश दिया गया है। बिना निबंधन के योजना का लाभ नहीं दिया जा सकता है। तकनीकी गड़बड़ी को ठीक कराने का निर्देश दिया गया है। सरकार ने अब तक निबंधन की अंतिम तिथि 15 नवंबर निर्धारित किया है।
रामाश्रय राम, जिला सहकारिता पदाधिकारी