Move to Jagran APP

जिले में मौसम का मिजाज बदनले से किसानों के चेहरे पर दिख रही चिता

जिले में पिछले तीन दिनों से मौसम में बदलाव हुआ है। मौसम में बदलाव से रविवार को पूरे दिन भी आकाश में बादल छाए रहे। मौसम में बदलाव के दौरान शनिवार को जिले के अधौरा क्षेत्र में व अन्य प्रखंडों में हल्की बूंदाबांदी हुई।

By JagranEdited By: Published: Sun, 20 Oct 2019 11:53 PM (IST)Updated: Mon, 21 Oct 2019 06:19 AM (IST)
जिले में मौसम का मिजाज बदनले से किसानों के चेहरे पर दिख रही चिता
जिले में मौसम का मिजाज बदनले से किसानों के चेहरे पर दिख रही चिता

जिले में पिछले तीन दिनों से मौसम में बदलाव हुआ है। मौसम में बदलाव से रविवार को पूरे दिन भी आकाश में बादल छाए रहे। मौसम में बदलाव के दौरान शनिवार को जिले के अधौरा क्षेत्र में व अन्य प्रखंडों में हल्की बूंदाबांदी हुई। जबकि रविवार को भी पूरे दिन धूंध छाया रहा और हल्की बूंदाबांदी होती रही। इस दौरान बूंदाबांदी होने से जिले में ठंड बढ़ गया है। पहाड़ी व ग्रामीण क्षेत्र में ठंड पड़ने से शीत भी पड़ रही है। जिससे सुबह में लोगों को ठंडक का एहसास हो रहा है। लोगों की मानें तो गुलाबी ठंड का आगमन हो चुका है। हालांकि लोग इसका आनंद उठा रहे है। वहीं दूसरी ओर मौसम की खराबी से किसान भय से व्याप्त है। मौसम की मार से किसानों के खेत में लगे धान की फसल को नुकसान हो रहा है। इसको लेकर किसानों में चिता देखी जा रही है।

loksabha election banner

किसानों का कहना है कि नाटी धान को छोड़ कर शेष धान की फसल लगभग पक गई है। नाटी धान भी नवंबर के पहले पखवाड़े तक पक कर तैयार हो जाएगा। ऐसे में यदि बारिश हुई तो काफी नुकसान होगा। वहीं कुछ जगह के किसानों ने बताया कि हथिया नक्षत्र में यह चित्रा चल रहा है। इसमें बारिश होने से बहुत अधिक नुकसान नहीं होगा। लेकिन यदि दो-चार दिन बाद यह बारिश बूंदाबांदी की तरह भी हुई तो धान की फसल काफी प्रभावित होगी। क्या कहते हैं कृषि वैज्ञानिक -

कृषि वैज्ञानिक अमित सिंह के मुताबिक धान की फसल अब पकने के कगार पर है। ऐसे में बारिश होने से किसानों के धान की फसल को नुकसान होगा। साथ ही सोनम, बीडी बावन आदि प्रकार के हल्के किस्म के धान का पौधा खेत में लोट जाएगा। ऐसे में किसानों को बड़ी संख्या में घाटा होगा। ऐसे में किसानों को फसल के बर्बाद होने का भय है इसके अलावा नहरों में भी पानी छोड़ा गया है। खेतों में पानी भर जाने से खेत के साथ साथ धान की फसल भी नहीं पकेगी। इसके अलावा गेहूं की बोआई में भी काफी देर होगा। वर्षापात के विभागीय आंकड़े-

वर्ष 2018 के मई में 5.53, जून में 101.66, जुलाई में 320.74, अगस्त में 240.46, सितंबर में 174.29 अक्टूबर में 2.4 मिली मीटर बारिश हुई है। जबकि 2019 के मई में 1.93, जून में 65.57, जुलाई में 340.57, अगस्त में 252.81 सितंबर में 373.62, वहीं अक्टूबर के 15 तारीख तक 32.21 मिली मीटर बारिश हुई है। पिछले साल के मुताबिक इस बार अच्छी बारिश हुई है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.