कैमूर में बालू के दाम में बेतहाशा हुई वृद्धि से निर्माण कार्य ठप
कोरोना के चलते किए गए लॉकडाउन में सभी तरह की सामग्री के दाम आसमान छू रहे हैं।
कैमूर। कोरोना के चलते किए गए लॉकडाउन में सभी तरह की सामग्री के दाम आसमान छू रहे हैं। इससे लोगों को कई तरह की परेशानी हो रही है। घरेलू सामग्री से लेकर अन्य तरह के सामग्रियों के दाम इस कदर बढ़ गए हैं कि लोगों का बजट ही बिगड़ चुका है। लॉकडाउन समाप्त होने के बाद कई लोग अपने घर की मरम्मत व बंद भवन निर्माण कार्यों को चालू कराने की सोच रहे थे। लेकिन फिलहाल भवन निर्माण से जुड़ी सामग्री के दाम बढ़ने से कोई भी भवन निर्माण का कार्य नहीं करा पा रहा है। बता दें कि इन दिनों भभुआ बाजार की मंडी में बालू की कीमत 12 हजार रुपए प्रति ट्रॉली है।
बालू व्यवसायियों का कहना है कि लॉकडाउन के चलते बालू नहीं आ रहा था। जो पहले का बालू रखा गया है वही बिक रहा है। अभी सोन नदी से बालू भी नहीं निकाला जा रहा है। इसके चलते बालू की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। उधर, ईंट के दाम भी अभी कम नहीं हुई हुए हैं। पिछले साल हुए लॉकडाउन के बाद से ही ईंट के दाम लगभग 15 हजार में दो हजार ईंट चल रहा है। भवन निर्माण से जुड़ी सामग्री के दाम बढ़ने से जहां एक ओर लोग अपने घरों के निर्माण कार्य नहीं करा पा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ राजमिस्त्री व मजदूरों का भी रोजगार ठप पड़ा हुआ है। लाकडाउन के बाद राजमिस्त्रियों व मजदूरों को उम्मीद थी कि उनके रोजगार को गति मिलेगी। लेकिन भवन निर्माण सामग्री के दाम अधिक होने से लोग घरों के निर्माण का कार्य नहीं शुरू करा रहे हैं। इससे व्यवसायी भी बालू ईंट सहित अन्य सामग्रियों को ट्रैक्टर ट्राली पर रखकर पूरे दिन ग्राहकों का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन लोग सिर्फ दाम पूछकर वापस लौट जा रहे हैं। लोगों का कहना है कि कोरोना के चलते किए गये लॉकडाउन में आमदनी पूरी तरह कम हो चुकी है। किसी तरह घरों में रह रहे लोग अपना खर्च चला रहे हैं। इससे लगभग सभी घरों का आर्थिक बजट बिगड़ चुका है। ऐसे में भवन निर्माण से जुड़ी सामग्री के दाम इतने अधिक होने से काम लगाने में लोग सक्षम नहीं है।
बता दें कि कैमूर जिले में वैसे तो कई नदियां हैं। लेकिन जिले के किसी भी नदी से बालू निकासी नहीं होती है। जिले के लोग भवन निर्माण के लिए सोन नदी के बालू का ही प्रयोग करते हैं।