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जीवन में उदारता व नैतिकता जरूरी

संवाद सहयोगी मोहनियां: शिक्षक दिवस के मौके पर बुधवार को महाराणा प्रताप महाविद्यालय में सम

By JagranEdited By: Published: Wed, 05 Sep 2018 11:41 PM (IST)Updated: Wed, 05 Sep 2018 11:41 PM (IST)
जीवन में उदारता व नैतिकता जरूरी
जीवन में उदारता व नैतिकता जरूरी

संवाद सहयोगी मोहनियां: शिक्षक दिवस के मौके पर बुधवार को महाराणा प्रताप महाविद्यालय में समारोह पूर्वक शिक्षकों का सम्मान किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कॉलेज के प्राचार्य डॉ अनिल कुमार ¨सह एवं संचालन उपप्राचार्य डॉ श्याम बिहारी ¨सह ने किया। इस मौके पर मुख्य अतिथि के रुप में विधान पार्षद अवधेश नारायण ¨सह व संतोष ¨सह उपस्थित थे। इनके द्वारा दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया। अपने संबोधन में अवधेश नारायण ¨सह ने कहा कि शिक्षक ही समाज का शिल्पकार और मार्गदर्शक है। जीवन जीने के लिए व्यवहारिकता और नैतिकता जरूरी है। शिक्षक का दर्जा समाज में हमेशा से ही पूजनीय रहा है।कोई इसे गुरु कहता है, कोई शिक्षक कहता है, कोई आचार्य कहता है तो कोई अध्यापक आता है। यह सभी शब्द एक ऐसे व्यक्ति को चित्रित करते हैं जो सभी को ज्ञान देता है। जिस का योगदान किसी भी देश या राष्ट्र के भविष्य का निर्माण करता है। शिक्षक ही समाज की आधारशिला है। एक शिक्षक ही अपने विद्यार्थी का जीवन उज्ज्वल करता है। वह जीवन पर्यंत तक मार्गदर्शक की भूमिका अदा करता है और समाज को राह दिखाता है। तभी शिक्षक को समाज में उच्च दर्जा दिया जाता है। शिक्षक को हमारी भारतीय संस्कृति में माता पिता के बराबर दर्जा दिया जाता है क्योंकि शिक्षक की हमें समाज में रहने योग्य बनाता है। इसीलिए शिक्षक को समाज का शिल्पकार कहा जाता है। विधान पार्षद संतोष ¨सह ने अपने संबोधन में कहा कि गुरु शब्द का व्यापक अर्थ है। गुरु के बिना कुछ भी संभव नहीं है। मां के बाद दूसरा जन्म देने का कार्य गुरु ही करता है।वह सही व गलत का रास्ता बताता है। गुरु और शिष्य दोनों का नैतिक दायित्व है कि वह अपने कर्तव्य का निर्वाह करें। प्राचार्य डॉ अनिल कुमार ¨सह ने कहा कि कॉलेज में शिक्षकों के सम्मान की परंपरा काफी दिनों से बंद हो गई थी। जिसे आज अध्यक्ष व सचिव के प्रेरणा से शुरू किया गया। उन्होंने कॉलेज के सभी शिक्षकों का माला पहनाकर स्वागत किया। प्राचार्य ने कहा कि सेवानिवृत्त होने के बाद चार चीजों का ध्यान रखना चाहिए। उनका समय कैसे कटे, समय का कैसे सदुपयोग हो इस पर ध्यान देना चाहिए। इसमें परिवार के छोटे बच्चों के साथ लगाव काफी कारगर होगा। साहित्य से जोड़ने पर समय का सदुपयोग होगा। अगल बगल बागवानी या गमले में पौधे लगाएं। जिससे पर्यावरण को भी फायदा होगा। अपने को उद्यान से जोड़ने की सीख मिलेगी। बिना बुलाए कहीं नहीं जाना चाहिए अन्यथा लोग बोझ महसूस करेंगे।प्राचार्य ने कहा की शिक्षा हमें ज्ञान, विनम्रता, व्यवहार कुशलता और योग्यता प्रदान करती है।

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