शिलान्यास से आगे बढ़ ही नहीं सकी आरा-मुंडेश्वरी रेललाइन परियोजना
शाहाबाद क्षेत्र के महत्वाकांक्षी आरा-मुंडेश्वरी रेल परियोजना शिलान्यास से आगे नहीं बढ़ सकी है।
शाहाबाद क्षेत्र के महत्वाकांक्षी आरा-मुंडेश्वरी रेल परियोजना शिलान्यास से आगे नहीं बढ़ सकी है। शिलान्यास के एक दशक बाद भी परियोजना अधर में है। हर लोकसभा चुनाव में यह परियोजना मुद्दा बनती रही है। जिले वासी इसे पूरा करने की मांग उठाते रहे हैं। लोगों को उम्मीद थी की इस वित्तीय वर्ष में इस कार्य को पूरा करने के लिए बजट में प्रावधान किया जाएगा, लेकिन निराशा ही हाथ लगी। शिलान्यास के दस साल बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण का कार्य प्रारंभ नहीं हुआ। यह पूरे शाहाबाद क्षेत्र के लिए बड़ा मुद्दा है, जिस पर प्रत्याशियों से भी सवाल पूछे जाएंगे। देश के प्राचीनतम मुंडेश्वरी मंदिर की ख्याति को ध्यान में रखकर और कैमूर जिला को पर्यटन के ²ष्टिकोण से विकसित करने के लिए इस परियोजना को काफी महत्वपूर्ण माना गया था। शिलान्यास के एक दशक बाद भी अभी तक धरातल पर योजना का कार्य दिखाई नहीं दे रहा है। जबकि वित्तीय वर्ष 2017-18 के रेल बजट में इस परियोजना को पूरा करने के लिए राशि उपलब्ध कराने की घोषणा की गई थी। स्थानीय सांसद छेदी पासवान द्वारा रेल मंत्री को लगातार पत्र लिखकर इस परियोजना का कार्य पूर्ण कराने की मांग की जाती रही है। संसद में भी इनके द्वारा इस महत्वाकांक्षी परियोजना पर केंद्र सरकार का ध्यानाकृष्ट किया गया है। इसके बावजूद रेल परियोजना का कार्य शिलान्यास से आगे नहीं बढ़ सका। 2008 में हुआ था शिलान्यास
14 दिसंबर 2008 को तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने मोहनियां में रेल प्रशासन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में आरा-मुंडेश्वरी रेललाइन परियोजना का शिलान्यास किया था। 122 किलोमीटर लंबी इस रेल लाइन के निर्माण पर 490 करोड़ रुपये खर्च का अनुमान लगाया गया था। शिलान्यास के दो वर्ष बाद मुगलसराय रेल मंडल के वरीय पदाधिकारियों ने गया-मुगलसराय रेलखंड पर अवस्थित भभुआ रोड स्टेशन पर नारियल फोड़कर आरा मुंडेश्वरी रेल लाइन के सर्वे कार्य का शुभारंभ किया था। एक दशक बीत जाने के बाद भी इस रेल परियोजना के कार्य में प्रगति नहीं होने के कारण कैमूर वासियों में मायूसी है। परियोजना के पूरा होने के बाद पर्यटन के ²ष्टिकोण से कैमूर जिले की अलग पहचान बन जाती। कैमूर जिले की माता मुंडेश्वरी मंदिर सहित अन्य पर्यटन स्थलों पर पहुंचने के लिए पर्यटकों को सड़क मार्ग का ही सहारा लेना पड़ता है। आरा से मुंडेश्वरी धाम तक रेललाइन बिछाने के लिए जो नक्शा बनाया गया है, उसके अनुसार आरा जंक्शन से कोचस होते हुए भभुआ रोड स्टेशन से पूरब गया मुगलसराय रेलखंड को उक्त रेल लाइन को पार करना है। भभुआ रोड स्टेशन से पूरब बने रेल ऊपरी पूल के बगल से बरेज गांव के पश्चिम उक्त परियोजना जीटी रोड को पार करते हुए आगे बढ़ेगी। जिला मुख्यालय भभुआ के पूरब दिशा से इस रेल परियोजना को भगवानपुर में मुंडेश्वरी धाम तक पहुँचाने की योजना है। वर्ष 2013 तक इस परियोजना को पूरा करने का था लक्ष्य शिलान्यास के समय तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने घोषणा किया था कि आरा मुंडेश्वरी रेल लाइन परियोजना पांच वर्षों में वर्ष 2013 के अंत तक पूरी हो जाएगी। बिहार सरकार के तत्कालीन जल संसाधन मंत्री जगदानंद सिंह ने इस परियोजना का ताना-बाना बुनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनका मानना था कि कैमूर जिला के विकास में उक्त रेल परियोजना मील का पत्थर साबित होगी। इससे जिले का तेजी से विकास होगा साथ देश के मानचित्र पर कैमूर जिले का नाम स्थापित हो जाएगा। शिलान्यास के मौके पर उन्होंने इस परियोजना के महत्व पर विस्तृत प्रकाश डाला था। उनके पहल पर ही शिलान्यास के बाद रेल लाइन के सर्वेक्षण का कार्य प्रारंभ हुआ था। लालू प्रसाद के रेल मंत्री पद से हटने के बाद से ही इस परियोजना पर ग्रहण लग गया। वर्ष 2008 में जब आरा-मुंडेश्वरी रेल लाइन परियोजना का शिलान्यास हुआ तो जिलेवासियों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी थी। पं दीनदयाल उपाध्याय-गया रेल खंड से करीब 25 किलोमीटर दक्षिण अवस्थित कई गांवों व पहाड़ी क्षेत्र के ग्रामीणों ने आजादी के लंबे अंतराल के बाद भी ट्रेन नहीं देखा है। ग्रामीण सड़क मार्ग से ही यात्रा करते हैं।वैसे ग्रामीणों की ट्रेन देखने की हसरत अधूरी रह गई। भूमि अधिग्रहण व खर्च की जानकारी किसी पदाधिकारी को नहीं आरा-मुंडेश्वरी रेल लाइन परियोजना के लिए कितनी भूमि अधिग्रहण करनी है और इस पर कितना खर्चा आएगा इसकी जानकारी मुगलसराय रेल मंडल के किसी पदाधिकारी के पास नहीं है। भभुआ रोड स्टेशन के पदाधिकारियों से जब यह सवाल पूछा जाता है तो वे रेल मंत्रालय से संबंधित बात कह कर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं।