जिले में 16553 नए मतदाता बने, पहली बार डालेंगे वोट
जिले में अब तक कोई भी चुनाव हुआ हो लेकिन मतदान प्रतिशत का ग्राफ संतोषजनक नहीं हो सका। जिला प्रशासन के साथ-साथ बिहार सरकार की मतदान प्रतिशत बढ़ाने की कोई नीति सफल नहीं हो रही। जिला निर्वाचन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक जिले में मतदान के लिए कुल 1206 मतदान केंद्र बनाए गए हैं।
जिले में अब तक कोई भी चुनाव हुआ हो लेकिन मतदान प्रतिशत का ग्राफ संतोषजनक नहीं हो सका। जिला प्रशासन के साथ-साथ बिहार सरकार की मतदान प्रतिशत बढ़ाने की कोई नीति सफल नहीं हो रही। जिला निर्वाचन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक जिले में मतदान के लिए कुल 1206 मतदान केंद्र बनाए गए हैं। जिस पर पुराने मतदाता 10 लाख 84 हजार 954 मतदान करते हैं। जिसमें पांच लाख 69 हजार 728 पुरूष मतदाता तथा पांच लाख 15 हजार 212 महिला मतदाता हैं। जबकि नए मतदाता का नाम 31 दिसंबर तक 18 वर्ष के कुल 16553 का नाम जोड़ने का काम किया गया है। जो इस बार होने वाले लोकसभा चुनाव में पहली बार वोट डालेंगे। जबकि नए प्रविष्टी तथा नाम हटाने का कार्य के दौरान कुल 35907 हुई। जिले में दिव्यांग मतदाता 10270 है। जिले में बीएलओ 1206 तथा बीएलए 916 हैं। जबकि अगर जिले का आंकड़ा देखें तो 2011 में ही जिला की जनसंख्या 16 लाख थी। वर्तमान समय में आंकलन किया जाए तो कैमूर की जनसंख्या लगभग 18 लाख से अधिक होगी।18 लाख में से मात्र 11 लाख के लगभग मतदाताओं का ही नाम जुड़ पाया है। 11 लाख की संख्या में भी मतदाता मात्र 50 से 65 प्रतिशत के बीच ही मतदाता होंगे। जिले में लोक सभा चुनाव में कभी भी 70 प्रतिशत से 80 प्रतिशत का मतदान का प्रतिशत नहीं पहुंच सका। 2014 के लोक सभा चुनाव को देखा जाए तो लहर में भी मात्र 62 प्रतिशत ही मतदान पड़ा। कैमूर जिले में आता है दो संसदीय क्षेत्र -
कैमूर जिला में दो संसदीय क्षेत्र आता है। भभुआ अनुमंडल के चैनपुर, चांद, भगवानपुर, अधौरा, रामपुर, भभुआ तथा मोहनियां अनुमंडल के मोहनियां तथा कुदरा सासाराम संसदीय क्षेत्र में आता है। जबकि रामगढ़, नुआंव, तथा दुर्गावती बक्सर संसदीय क्षेत्र में आता है। सासाराम संसदीय लोक सभा का चुनाव वर्ष 1952 में हुआ था। तब बाबू जगजीवन राम ने कांग्रेस की टिकट पर जीत दर्ज की। उसके बाद 1952 में दोबारा चुनाव हुआ। जिसमें रामसुभाष ¨सह ने जनरल कोटा से चुनाव लड़ा तथा चुनाव जीते। उसके बाद 1957 में चुनाव हुआ। जिसमें कांग्रेस की टिकट से ही जगजीवन राम ने जीत दर्ज की। उसके बाद 1971 तक वे कांग्रेस के टिकट से लगातार जीत दर्ज किए। उसके बाद बाबू जगजीवन राम ने पहली बार जनता पार्टी के टिकट से 1977 में जीत दर्ज की। उनकी सरकार 1980 तक ही चल सकी। फिर 1980 में चुनाव हुआ जहां पर जगजीवन राम ने चुनाव लड़ा। वे चुनाव तो जीत गए लेकिन बहुमत न मिलने से उनकी सरकार नहीं बन सकी। उसके बाद पुन: कांग्रेस के टिकट से 1984 से चुनाव लड़ा। जहां उन्होंने जीत दर्ज की। 1986 के जुलाई माह में ही उनकी मृत्यु सांसद पद पर रहते हो गई। वे आरा के चंदवा के रहने वाले थे। उसके बाद 1989 में बाबू जगजीवन राम की पुत्री मीरा कुमार ने पहली बार लोक सभा का चुनाव लड़ी। जिनको छेदी पासवान ने हरा कर चुनाव जीता था। उसके बाद 1991 में जनता दल के टिकट से छेदी पासवान जीते थे। उसके बाद ही 1991 में ही शाहाबाद से कैमूर अलग हुआ। 1996 में बीजेपी के टिकट से मुन्नीलाल ने चुनाव जीता। उसके बाद 1998 में सरकार गिर गई। उसके बाद 1999 में भी मुन्नीलाल ने चुनाव जीता। उसके बाद 2004 व 2009 में मीरा कुमार ने चुनाव जीता। जहां वे लोक सभा में स्पीकर बनी। उसके बाद 2014 में छेदी पासवान ने चुनाव जीता।