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बच्चों के शारीरिक परिवर्तन के वक्त अभिभावक रहे जागरूक

जमुई। शिक्षा रूपी दीप जलाकर ही कम उम्र के बचों में ज्ञान का बीज और अभिभावकों को बचों के दायित्व का एहसास कराया जा सकता है। उपरोक्त बातें प्रो. जीपी ठाकुर निदेशक विकास और परिवर्तन उन्नत अनुसंधान केंद्र नई दिल्ली नैदानिक मनोविज्ञानी और मुख्य संरक्षक इंडियन एकेडमी आफ एप्लाइड साइकोलाजी पूर्व अध्यक्ष इंडियन स्कूल साइकोलाजी एसोसिएशन और डा. अमरेंद्र प्रकाश चौबे सेवानिवृत्त विभागाध्यक्ष स्नातकोत्तर मनोविज्ञान विभाग ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा (बिहार) ने बीते ढाई माह में झाझा में हुए दो आनर किलिग मामले में कही।

By JagranEdited By: Published: Thu, 23 Sep 2021 06:14 PM (IST)Updated: Thu, 23 Sep 2021 06:14 PM (IST)
बच्चों के शारीरिक परिवर्तन के वक्त अभिभावक रहे जागरूक

जमुई। शिक्षा रूपी दीप जलाकर ही कम उम्र के बच्चों में ज्ञान का बीज और अभिभावकों को बच्चों के दायित्व का एहसास कराया जा सकता है। उपरोक्त बातें प्रो. जीपी ठाकुर निदेशक विकास और परिवर्तन, उन्नत अनुसंधान केंद्र नई दिल्ली, नैदानिक मनोविज्ञानी और मुख्य संरक्षक, इंडियन एकेडमी आफ एप्लाइड साइकोलाजी, पूर्व अध्यक्ष, इंडियन स्कूल साइकोलाजी एसोसिएशन और डा. अमरेंद्र प्रकाश चौबे सेवानिवृत्त विभागाध्यक्ष स्नातकोत्तर मनोविज्ञान विभाग ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा (बिहार) ने बीते ढाई माह में झाझा में हुए दो आनर किलिग मामले में कही।

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उन्होंने संयुक्त रूप से बताया कि नाबालिग से बालिग होने के दौरान उम्र परिवर्तन के वक्त बच्चों में शारीरिक रूप से बहुत कुछ परिवर्तित होता है। परिवर्तन की इस घड़ी में लड़के व लड़कियों में बहुत कुछ बदलता है। ऐसे समय में बहुत तरह की उत्तेजना जागृत होती है। सामाजिक व्यवस्था अंतर्गत समझना होता है कि किसके साथ कैसा व्यवहार करना है। कैसे आगे बढ़ना है, कहां तक आगे बढ़ना है। मां को बेटी और बाप को बेटे को होने वाले शारीरिक परिवर्तन के संदर्भ में जानकारी देनी चाहिए। बच्चों को यह बताइए की यह आकर्षण आम है। यह सभी में होता है। लड़का-लड़की के प्रति बढ़ते आकर्षण से खुद को बचा कर रखना है। यह बातें बच्चों को समझाएं। सतर्क नहीं होंगे तो कोई आपको आनंद की प्राप्ति कहकर नाजायज फायदा उठा लेगा। जिससे आपका जीवन बर्बाद हो सकता है। अभिभावक को चाहिए कि वे बच्चे पर ध्यान दें। विपरित परिस्थिति में अभिभावक को अधीर नहीं होना चाहिए। मारपीट या फिर कोई बड़ी घटना समस्या का समाधान नहीं। कोई खतरनाक निर्णय आपके पूरे परिवार को परेशानी में डाल सकता है। बुजुर्गों के नेतृत्व में आपस में बैठकर निर्णय लीजिए।


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