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जमुई पर भी मंडरा रहा टिड्डी दल का खतरा

जमुई । टिड्डी दल के हमले का खतरा जिले पर भी मंडरा रहा है। कृषि विभाग ने खतरे को भांपते हुए जिला में अलर्ट घोषित कर दिया है। साथ ही शुक्रवार को कृषि पदाधिकारियों के साथ बैठक कर किसानों कृषि पदाधिकारियों व कर्मियों के लिए गाइडलाइन तैयार की गई है। इसके अलावा पौधा संरक्षण कार्यालय को सुबह 9 बजे से संध्या 7 बजे तक खोलने का निर्णय लिया है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 30 May 2020 05:30 PM (IST)Updated: Sat, 30 May 2020 05:30 PM (IST)
जमुई पर भी मंडरा रहा टिड्डी दल का खतरा
जमुई पर भी मंडरा रहा टिड्डी दल का खतरा

जमुई । टिड्डी दल के हमले का खतरा जिले पर भी मंडरा रहा है। कृषि विभाग ने खतरे को भांपते हुए जिला में अलर्ट घोषित कर दिया है। साथ ही शुक्रवार को कृषि पदाधिकारियों के साथ बैठक कर किसानों, कृषि पदाधिकारियों व कर्मियों के लिए गाइडलाइन तैयार की गई है। इसके अलावा पौधा संरक्षण कार्यालय को सुबह 9 बजे से संध्या 7 बजे तक खोलने का निर्णय लिया है। जिला कृषि पदाधिकारी संजय कुमार ने बताया कि टिड्डियों के झुंड के राजस्थान, मध्यप्रदेश, दिल्ली और उत्तर प्रदेश होते हुए बिहार आने की संभावना को लेकर जिला को अलर्ट पर रखा गया है। शनिवार को कैमूर से टिड्डियों के दल के पार करने की सूचना है। उन्होंने बताया कि टिड्डी बहुभक्षी कीट हैं। इनसे निपटने को लेकर सभी प्रखंड कृषि पदाधिकारी, सभी कृषि समन्वयक, एटीएम, बीटीएम, प्रखंड उद्यान पदाधिकारी, सभी किसान सलाहकार को अपने-अपने कार्य क्षेत्र में अलर्ट रहने का निर्देश दिया गया है। साथ किसानों से टिड्डी दल दिखाते ही कृषि विभाग को सूचित करने की अपील की गई है। ---------

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शोर से भाग सकता है टिड्डी दल

डीएओ ने बताया कि गाइडलाइन के अनुसार एक साथ ढोल-नगाड़े, टिन के डब्बों को बजाने तथा शोर मचाने पर टिड्डी भाग जाता है। इसके अलावा यदि फसलों पर टिड्डी दिखाई देती है तो क्लोरोपायरीफोस 20 ईसी दवा 3 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर फसलों पर छिड़काव किया जा सकता है। ध्यान यह देना है कि दवा छिड़काव का उचित समय रात के 11 बजे से सूर्योदय के पहले तक होता है।

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फसलों के अलावा पेड़-पौधों की पत्तियां, तने और छाल खा जाती है टिड्डी

डीएओ ने बताया कि पीले रंग की दिखने वाली रेतीली टिड्डी फसल के अलावा पेड़, पौधों की पत्तियां, तने और छाल तक खा जाती है। यह हवा की दिशा में ही उड़ती है। सूरज डूबने या सूर्य की रोशनी समाप्त होने के उपरांत ही टिड्डिया फसलों पर आकर बैठती है और फसलों की पत्तियां समेत समूचे पौधों को व्यापक स्तर पर समूल खाकर नष्ट कर देती है। प्रतिदिन टिड्डियों का दल 100 से 125 किलोमीटर तक की यात्रा कर सकती है। टिड्डियों का एक झुंड 2500 आदमी, 10 हाथी, 25 ऊंट के बराबर भोजन कर सकती है। प्रति टिड्डी जमीन से छह इंच नीचे एक बार में 70 से 80 अंडे देती है।


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