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सिसकते बचपन को मिला सहारा, इलाज के बाद जीवन में भरा उमंग

जमुई। गरीबी का दंश और असाध्य रोग से पीड़ित बच्चा यह पढ़ और सुनकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। इस पीड़ा का एहसास दुखी कर जाता है। ऐसे ही परिवार व बच्चों के दर्द पर बिहार सरकार ने मलहम लगाने की कवायद की है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 Oct 2021 06:24 PM (IST)Updated: Mon, 25 Oct 2021 06:24 PM (IST)
सिसकते बचपन को मिला सहारा, इलाज के बाद जीवन में भरा उमंग

जमुई। गरीबी का दंश और असाध्य रोग से पीड़ित बच्चा, यह पढ़ और सुनकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। इस पीड़ा का एहसास दुखी कर जाता है। ऐसे ही परिवार व बच्चों के दर्द पर बिहार सरकार ने मलहम लगाने की कवायद की है। बिहार सरकार द्वारा संचालित बाल हृदय योजना जरूरतमंद परिवारों के बच्चे के लिए जीवनदायिनी साबित हो रही है।

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इसके तहत वैसे बच्चों का मुफ्त में इलाज कराया जा रहा है, जिनके दिल में छेद या एक से अधिक असाध्य विकार से पीड़ित हैं। इसी क्रम में जिले के खैरा प्रखंड के चुआं पंचायत की दो वर्षीय सुनीता को नया जीवनदान मिला। आज खेलती, खिलखिलाकर हंसती बच्ची परिवार में उमंग का रंग भर रही है। सुनीता के डेढ़ माह होने पर लगातार बुखार रहने पर स्थानीय स्तर पर चिकित्सकों से जांच कराई गई। जिला और पटना तक के चिकित्सकों से आवश्यक जांच से पता चला बच्ची के हृदय में एक से अधिक विकार (टोफ) है। जिसके इलाज में एक मुश्त में लाखों रुपये का खर्च आता है। यह सुनते ही दैनिक मजदूरी कर जीविकोपार्जन करने वाले राजेश मांझी और मां लालो देवी के पैर तले जमीन खिसक गई। सबकुछ ईश्वर पर छोड़ दिया, लेकिन मां के आंखों में आंसू ने घर बना लिया। इसके बाद गांव के आंगनबाड़ी केंद्र में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत आयोजित स्क्रीनिग शिविर डा. अखिलेश जिला समन्वयक को इसकी जानकारी दी। तत्पश्चात पटना स्थित इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के माध्यम से गुजरात राज्य के अहमदाबाद स्थित सत्य साई अस्पताल में इस वर्ष जुलाई में आपरेशन किया गया। अब बेटी का स्वस्थ व खेलते देख मां लालो देवी खुशी से झूम उठती है। साथ ही बेटी के नए जीवन के लिए भगवान के साथ सरकार को धन्यवाद देते नहीं थकती।

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अब तक कुल 13 बच्चे जो जन्म से लेकर अठारह (0 से 18) वर्ष तक थे, में विशिष्ट रोग सहित 4डी अर्थात चार प्रकार की परेशानियों की पहचान की गई है। इन चार परेशानियों में जन्मजात दोष, बीमारी, कमी और विकलांगता सहित विकास में रुकावट की जांच शामिल है। उनमें से सुनीता का अहमदाबाद में सफलता पूर्वक इलाज हो चुका है।

डॉ. कृष्णमूर्ति, जिला समन्वयक, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम, जमुई


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