संसाधन की कमी से जूझ रहा सिमुलतला आवासीय विद्यालय
बिहार-झारखंड बंटवारे के बाद सरकार ने नेतरहाट की तर्ज पर नौ अगस्त 2010 में सिमुलतला आवासीय विद्यालय की स्थापना की।
जमुई। बिहार-झारखंड बंटवारे के बाद सरकार ने नेतरहाट की तर्ज पर नौ अगस्त 2010 में सिमुलतला आवासीय विद्यालय की स्थापना की। इस विद्यालय ने अपनी सफलता से पूरे सूबे को गौरवान्वित किया और जमुई का यह विद्यालय सूबे में अपनी पहचान बना ली। यद्यपि पूर्व का परीक्षा परिणाम इस बार विद्यालय नहीं दोहरा सका फिर भी विद्यालय से टॉन टेन में सात विद्यार्थियों ने जगह बनाई। इसके पीछे संसाधन की कमी, शिक्षक की कमी कारण माना जा रहा है। लचर व्यवस्था, मूलभूत सुविधाओं का अभाव, शिक्षकों की कमी आदि समस्याओं से विद्यालय की गरिमा को ठेस पहुंची है। नेतरहाट का सपना पूरा करने के लिए जनप्रतिनिधियों, समाजसेवियों एवं वरीय पदाधिकारियों को समझना होगा कि शिक्षा के क्षेत्र में जिला को पहचान दिलाने वाले इस विद्यालय की कृतियां कैसे सजीव रहे। संसाधन की समस्याओं को कैसे दूर किया जाए।
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विद्यालय की समस्याएं
- विद्यालय के लिए निर्धारित जमीन अभी तक उपलब्ध नहीं।
- विषयवार शिक्षकों की कमी।
- आज भी तदर्थ व्यवस्था से शिक्षकों की कमी को पूरी की जाती है।
- विद्यालय के प्राचार्य एवं उपप्राचार्य सहित 18 शिक्षक एवं शिक्षिकाओं को आज तक सेवा शर्त एवं वेतनमान नहीं मिला।
- छात्र-छात्राओं द्वारा खानपान व्यवस्था की बराबर शिकायत बनी रहती।
- आवासन, पानी, खेलकूद, बिजली, विद्यालय नाम अनुरूप पुस्तकालय, प्रयोगशाला की कमी।
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विद्यालय की सफलता एक नजर में
मैट्रिक परीक्षा सफलता
- 2015 में विद्यालय के 31 छात्र-छात्राओं ने मैट्रिक की परीक्षा में पूरे सूबे के टॉपटेन में स्थान बनाया। पुराने सभी बिहार बोर्ड के रिकॉर्ड को भी ध्वस्त किया।
- 2016 में 42 छात्र-छात्राओं ने टॉपटेन में स्थान बनाया।
- 2017 में 14 छात्र-छात्राओं ने टॉपटेन में स्थान बनाया।
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इंटरमीडिएट परीक्षा में सफलता
- 2017 में विज्ञान संकाय में खुशबू कुमारी बिहार टॉपर रही, जबकि सूरज कुमार सातवां एवं पूजा कुमारी एवं साकिब संयुक्त रूप से आठवां स्थान प्राप्त किया।
वाणिज्य संकाय में लक्ष्मी कुमारी 400 अंक लेकर सूबे में चौथा स्थान तथा कला संकाय में ज्योति कुमारी 394 एवं रीना कुमारी 376 अंक लेकर विद्यालय को गौरवान्वित किया था।
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