मां ब्रह्माचारिणी की पूजा आज, कोरोना का करेगी संहार
जमुई। चैत नवरात्र के दूसरे दिन बुधवार को मां ब्रह्माचारिणी की उपासना की जाएगी। माता ब्रह्माचारिणी ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की थी।
जमुई। चैत नवरात्र के दूसरे दिन बुधवार को मां ब्रह्माचारिणी की उपासना की जाएगी। माता ब्रह्माचारिणी ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की थी। इस कारण इन्हें ब्रह्माचारिणी के नाम से जाना जाता है।
आचार्य पंडित शत्रुघ्न झा ने बताया कि बह्मा का अर्थ तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली है। उन्होंने कहा की ज्ञान, तपस्या और स्वाधिष्ठान की देवी की पूजा विद्यार्थियों के लिए शुभ और फलदायक सिद्ध होता है। जिन लोगों का स्वाधिष्ठान चक्र कमजोर हो उनके लिए भी मां ब्रह्माचारिणी की उपासना अत्यंत लाभदायक सिद्ध होती है। आज के दिन जो भी भक्त माता की अराधना सच्चे मन से करता है उसे ज्ञान, एकाग्रता और संयम रखने की शक्ति की भी प्राप्ति होती है। पंडित शत्रुधन झा ने कहा कि चैत माह के इस पवित्र नवरात्र में हो रहे मां दुर्गा की अराधना कोरोना महामारी की नाश करेगी।
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मां ब्रह्माचारिणी की पूजा विधि
पंडित शत्रुधन झा ने कहा कि कोरोना महामारी एक बार फिर से अपना पैर पसार रही है। इसलिए भक्तजन पूजा पंडाल और मंदिरों में भीड़ न लगाकर अपने अपने घर में ही माता की अराधना करें। सर्वप्रथम सुबह उठकर भक्तगण को नित्य कर्मों से निवृत्त होकर स्नान-ध्यान करना चाहिए। तत्पश्चात स्वच्छ पीला या सफेद वस्त्र पहनकर पूजा आसन पर बैठकर मां ब्रह्मचारिणी की पूजा को विधिवत ढंग से प्रारंभ कर माता को फूल, अक्षत, रोली, चंदन आदि अर्पित कर दूध, दही घी, मधु आदी से स्नान करा भोग लगाएं। इसके बाद भक्तगण या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्माचारिणी रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: आदि मंत्र उच्चारण कर मां ब्रह्मचारिणी का स्त्रोत पाठ कर आरती करें। भक्तगण देश से कोरोना महामारी को नाश कर इससे मुक्ती के लिए भी प्रार्थना करें ताकि मां ब्रह्माचारिणी देश से कोरोना को नाश करे। आज के दिन श्रद्धालुओं को जलीय और फलाहार पर विशेष ध्यान देना चाहिए।