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तीर्थ यात्रियों का जत्था पहुंचा लछुआड़

जमुई। करुणा के सागर भगवान महावीर के तीन कल्याणकों की भूमि क्षत्रियकुंड लछुआड़ में गुरुवार को हजारों तीर्थ यात्रियों का जत्था लछुआड़ पहुंचकर अपने इष्टदेव की पूजा-अर्चना की।

By JagranEdited By: Published: Thu, 15 Nov 2018 06:13 PM (IST)Updated: Thu, 15 Nov 2018 06:13 PM (IST)
तीर्थ यात्रियों का जत्था पहुंचा लछुआड़

जमुई। करुणा के सागर भगवान महावीर के तीन कल्याणकों की भूमि क्षत्रियकुंड लछुआड़ में गुरुवार को हजारों तीर्थ यात्रियों का जत्था लछुआड़ पहुंचकर अपने इष्टदेव की पूजा-अर्चना की। महादेवपूरी कक्ष (महाराष्ट्र) अहमदाबाद के अलावा विभिन्न प्रांतों से हजारों की संख्या में तीर्थ यात्रियों के आने से लछुआड़ की रौनक बदल गई है। श्रवण भगवान महावीर की गीत व नारे से पूरा जैन धर्मशाला मंदिर गुलजार होने के साथ गुंजायमान हो उठा। इस अवसर पर देर शाम महराज जी का व्याख्यान माला कार्यक्रम भी आयोजित किए गए। जैनाचार्य नयब‌र्द्धन सूरी जी महाराज ने अपने व्याख्यान में कहा कि आत्म गुणों को विस्तृत कर क्रोध, मान, माया, लोभ को इतना विवश हो जाता है कि वह स्वभावत: ही पाप कार्य करते रहते हैं। ऐसे आत्मा का अशुद्ध दशा का त्याग करके शुद्ध दशा को पाने के लिए जैन धर्म में पर्व के महत्व को बताया गया है। उन्होंने चातुर्मास के महत्व को बताते हुए कहा कि आत्मा की शुद्धि के लिए सही रूप से अन्य जीवात्माओं की रक्षा के लिए खास है। उन्होंने कहा कि वर्षा काल के मौसम में पृथ्वी अत्यंत जीवा कुल दिखती है। चौमासे में तप करना, खाना पीना छोड़ना, प्रभु भक्ति अर्चना करना, व्रत धर्म आराधना करना, शास्त्र में निर्दिष्ट किया गया है। व्याख्यान के पश्चात उपस्थित सभी श्रद्धालुओं ने तपस्या प्रारंभ किया। साथ ही चौमासे पर्व की आराधना को ले सभी ने देववंदन की क्रिया की। इधर दूसरी ओर आगामी 14 दिसम्बर को जन्मकल्याणक भूमि जन्मस्थान में भगवान महावीर की 2600 वर्ष पुरानी दुर्लभ प्रतिमा को धूमधाम से स्थापित किए जाने को लेकर जैनाचार्य के साथ अन्य जैन भक्त श्रद्धालुओं की मौजूदगी में आमंत्रण पत्र का भगवान व अपने गुरु महाराज के समक्ष प्रस्तुत किया गया। इस मौके पर कक्ष महाराष्ट्र के नीलेश भाई, प्रफुल्ल भाई, पीयूष नागदा, जिनेन्द्र सेवा समिति के निर्मल ¨सह, उमेश केशरी, निखिल सहित सैकड़ों जैन श्रद्धालु उपस्थित थे।

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