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कड़ाके की ठंड से जन जीवन हुआ बेहाल

जमुई। किट-किट करके बजते दांत, सर्दी से जमते हाथ। भीनी-भीनी धूप की याद सताए।

By JagranEdited By: Published: Wed, 10 Jan 2018 05:40 PM (IST)Updated: Wed, 10 Jan 2018 05:40 PM (IST)
कड़ाके की ठंड से जन जीवन हुआ बेहाल
कड़ाके की ठंड से जन जीवन हुआ बेहाल

जमुई। किट-किट करके बजते दांत, सर्दी से जमते हाथ। भीनी-भीनी धूप की याद सताए। जी हां, कुछ ऐसा ही हाल बुधवार की सुबह लोगों का था। घने कोहरे और कंपकपाती ठंड के बीच 13 किलोमीटर रफ्तार से बहती सर्द पछुआ हवा ने बुधवार को जन जीवन बेहाल कर दिया। लोग कंबल ओढ़कर अपने कामों पर निकले। चौक-चौराहों पर जलती अलाव की गर्माहट ने लोगों को राहत देकर जीवनदायक बना दिया था। दरअसल, जिले में पखवारे से जारी कड़ाके की ठंड बुधवार को भयानक रूप ले लिया था। घना कोहरा, सर्द हवा से लोग बेहाल थे। दिन के एक बजे लोगों को सूर्य का दर्शन नसीब हो सका। हालांकि धूप निकलने के बाद लोगों को थोड़ी राहत जरूर मिली परंतु दिन ढलने के साथ ही मौसम करवट लेने लगी और लोग अपने-अपने घरों में दुबक गए। जो बाहर थे वो भी जल्द से जल्द काम निपटा घर लौटने को लेकर आतुर दिखे। अलबत्ता, कृषि विज्ञान केंद्र खादीग्राम के कृषि वैज्ञानिक डॉ. प्रमोद कुमार ¨सह के अनुसार बुधवार को तापमान 6 डिग्री सेल्सियस था। साथ ही 13 किमी की गति से पश्चिम-उत्तरी-पश्चिम दिशा की बह रही है। फिलहाल 13 जनवरी तक ऐसे ही मौसम बने रहने का पूर्वानुमान है।

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रखें विशेष ख्याल

मौसम में वृद्ध व बच्चों का विशेष ख्याल रखें। सदर अस्पताल के डॉ. सैयद नौशाद अहमद के अनुसार उच्च रक्तदाव, डायबिटीज, हृदय रोगियों को विशेष सावधान रहने की जरूरत है। ऐसे रोगी चिकित्सक द्वारा परामर्श दवाई लेना कभी मत भूलें। साथ ही गर्म जगह पर रहे। बच्चे अच्छी तरह से गर्म कपड़े कर ही बाहर निकले। उन्होंने कहा कि बंद शौचालय में गर्म पानी से ही स्नान करें। शरीर को अच्छी तरह ढक कर ही बाथरूम से बाहर निकलें।

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बीमारियों का खतरा

-लकवा

-हृदयघात

-हाइपोथरेमिया (शरीर का तापमान कम होना)

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फसल में भी पाला मारने का है खतरा

कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक डॉ. प्रमोद कुमार ¨सह ने बताया कि इस मौसम में फसल में पाला मारने का खतरा बना रहता है। सब्जी वाले फसल में 70-80 फीसद, दलहन में 50-60 फीसद तथा गेहूं में 10-20 फीसद नुकसान होने की संभावना होती है। पाला मारने का लक्ष्य पत्तियां व फूल का झुलस जाना है। कृषि वैज्ञानिक के अनुसार फसल को पाला से बचाने के लिए मैकोजेब 75 प्रतिशत डब्लूपी 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव किया जा सकता है।

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पाला से बचाव का तरीका

-पाला पड़ने पर खेतों में ¨सचाई कर दें। जमीन में नमी रहने तथा पानी देने से जमीन में गर्मी बनी रहती है तथा जमीन का तापमान एकाएक नीचे नहीं गिरता है।

-खेतों की मेढ़ पर कुछ-कुछ दूरी पर पश्चिम उत्तर दिशा में घासफूस जलाकर धुंआ करें। धुंआ खेतों में जानी चाहिए।

-सब्जी वाले खेतों में तापमान बनाएं रखने को लेकर फसलों को टाट, पालीथीन, पुआल, भूसा से ढंक दें।


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