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अंचल कार्यालय के खिलाफ गोलबंद हुए मुखिया

जमुई। अंचल कार्यालय में व्याप्त अनियमितता को लेकर शनिवार को प्रतिनिधि भवन में प्रखंड मुखिया संघ की बैठक ललित नारायण ¨सह की अध्यक्षता में संपन्न हुई।

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 Feb 2019 07:45 PM (IST)Updated: Sat, 23 Feb 2019 07:45 PM (IST)
अंचल कार्यालय के खिलाफ गोलबंद हुए मुखिया
अंचल कार्यालय के खिलाफ गोलबंद हुए मुखिया

जमुई। अंचल कार्यालय में व्याप्त अनियमितता को लेकर शनिवार को प्रतिनिधि भवन में प्रखंड मुखिया संघ की बैठक ललित नारायण ¨सह की अध्यक्षता में संपन्न हुई। इस दौरान कहा गया कि अंचल के सभी राजस्व कर्मचारियों द्वारा स्थानीय दलाल नियुक्त किया गया है। उसी के इशारे पर काम होता है। विभाग में भ्रष्टाचार चरम पर है। यही वजह है कि गांव में भूमि विवाद को लेकर खूनी संघर्ष होता रहा है। बैठक में पंचायती राज विभाग बिहार सरकार के प्रधान सचिव अमृत लाल मीणा द्वारा जारी पत्र का हवाला दिया गया। पत्र में सभी पंचायत कर्मियों की उपस्थिति पंचायत कार्यालय में सुनिश्चित किए जाने के निर्देश दिए गए थे। बीडीओ, सीओ व कृषि पदाधिकारी को पत्र के माध्यम से बताया गया कि पिछली बैठक में सर्वसम्मति से प्रधान सचिव के पत्र के आलोक में व्यवस्था सुनिश्चित किए जाने की प्रतिबद्धता दिखाई गई थी। संघ ने संबंधित पदाधिकारियों द्वारा उक्त अनुरोध पर अमल नहीं करने पर भी ¨चता जताई। कहा अतिशीघ्र पंचायत कर्मियों की सेवा पंचायतों को सौपी जाए व उनकी उपस्थिति सुनिश्चित कराई जाए। इस मौके पर संघ के प्रखंड अध्यक्ष ललितनारायण ¨सह, मुखिया जमादार ¨सह, अजय कुमार ¨सह, गेना, निया•ा अंसारी, सुंदरलाल ¨सह सहित मुखिया प्रतिनिधि सुधीर ¨सह, राजेश विश्वकर्मा, निरपत साह, संजय ¨सह, गजेंद्र यादव उपस्थित हुए।

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संघ की बैठक में शामिल नहीं हुई एक भी महिला मुखिया :

सोनो की 19 में से 10 पंचायतों में महिला मुखिया है लेकिन चौंकाने वाली बात यह है की शनिवार को प्रखंड परिसर अवस्थित प्रतिनिधि भवन में सम्पन्न मुखिया संघ की बैठक में एक भी महिला मुखिया की उपस्थिति नहीं देखी गई। यह तस्वीर महिला सशक्तिकरण के लिए किए जा रहे तमाम प्रयासों को ठेंगा दिखाती नजर आई। हैरत की बात तो यह है कि बैठक में कुल 11 पंचायतों से मुखिया या उनके प्रतिनिधि शामिल हुए। इस दौरान यह बात भी उजागर हुई कि उपस्थित 11 सदस्यों में से 6 मुखिया पति व 5 मुखिया शामिल थे। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में महिलाओं के लिए 50 फीसद आरक्षण की महत्वाकांक्षी व्यवस्था का असली चेहरा शायद यही है।


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