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दम तोड़ रही मुख्यमंत्री शहरी नाली- गली योजना

सात निश्चय योजना अंतर्गत शहरी नाली-गली योजना के लक्ष्य को पूरा करने में नगर परिषद हांफ रहा है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 22 Jan 2021 06:18 PM (IST)Updated: Fri, 22 Jan 2021 06:18 PM (IST)
दम तोड़ रही मुख्यमंत्री शहरी नाली- गली योजना
दम तोड़ रही मुख्यमंत्री शहरी नाली- गली योजना

जमुई। सात निश्चय योजना अंतर्गत शहरी नाली-गली योजना के लक्ष्य को पूरा करने में नगर परिषद हांफ रहा है।

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अप्रैल 2019 में नगर परिषद द्वारा शहर के 30 प्रभागों में सात निश्चय योजना के तहत करोड़ों रुपये का प्राक्कलन तैयार कर दो दर्जन से अधिक कार्यों को निष्पादित करने के लिए निविदा निकाली गई थी। लापरवाही कहें या मनमानी हाल यह है कि 20 माह गुजरने के बाद भी लगभग आधा दर्जन योजनाओं में कार्य प्रारंभ नहीं हुआ है। कई योजना में तो अभी तक संवेदक को कार्यादेश भी निर्गत नहीं किया गया है। इस वजह से आधा दर्जन योजनाएं लंबित हैं, कितु नप प्रशासन बेपरवाह बना है। जब इस संबंध में नप के प्रधान सहायक से बात की गई तो उन्होंने राशि की कमी का हवाला देते हुए पल्ला झाड लिया। नप प्रशासन द्वारा राशि कमी का हवाला देना खुद पर सवाल खड़ा इसलिए कर रहा है कि जब नप के खाते में राशी नहीं है तो विभागीय कार्य का आवंटन स्वीकृति करने के अलावा संयंत्रों आदी की खरीदारी कैसे हो रही है।

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केस स्टडी-1

20 माह बाद भी नहीं मिला कार्यादेश शहर के वार्ड संख्या- 12 महिसौडी मोहल्ले में लगभग 65 लाख की लागत से आरसीसी नाला निर्माण कार्य की निविदा अप्रैल- 2019 में ही निकाली गई थी। अभी तक कार्य प्रारंभ करने के लिए संवेदक को कार्यादेश भी नही मिला है। जो मुख्यमंत्री के सात निश्चय महत्वाकांक्षी योजना क्रियान्वयन को मुंह चिढा रहा है।

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केस स्टडी-2

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विवादित नाला का नप नही कर रहा समाधान

अप्रैल 2019 में ही वार्ड संख्या- 6 बिहारी मोहल्ले में लगभग एक करोड़ की लागत से बनने वाले आरसीसी नाला निर्माण की निविदा निकाली गई थी। इस कार्य के लिए संवेदक का चयन भी हो चुका है।लेकिन बिहारी के दर्जन भर किसानों ने नगर परिषद द्वारा स्वीकृत इस अनियोजित तरीके से बन रहे नाले का विरोध किया।किसानों का कहना है की नगर परिषद ने किसानों एवं रैयती जमीन वाले ग्रामीणों से बैठक किए बगैर शहर के गंदे पानी का निकास खेती करने वाले निजी जमीन पर बहाव करने का निर्णय ले लिया है।जबकी जल निकासी के लिए जितना राशी पश्चिम से पूर्व की ओर नाला निर्माण मे किया जा रहा है उससे एक तिहाई से भी कम खर्च में बिहारी मुहल्ले में पूर्व से निर्मित नाले से जोडकर पश्चिम दिशा जाने वाली सडक किनारे से नाला निर्माण कर जल निकासी की समस्या का निदान आसानी से किया जा सकता है। बिहारी मुहल्लावासियों द्वारा इसके निदान के लिए नगर परिषद से लेकर जिलाधिकारी तक गुहार लगाई गई लेकिन आज तक इसका समाधान नही हो सका।नप कार्यपालक पदाधिकारी और अंचलाधिकारी द्वारा इस विवादित नाले का सर्वेक्षण तो बीते अक्टूबर माह में ही किया गया था जिसपर अंचलाधिकारी ने सरकारी जमीन मापी की बात भी कही थी लेकिन निष्कर्ष कोसों दूर है। इस संबंध में जब नप अधिकारी अजीत कुमार से दो दिन बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने मोबाइल नहीं उठाया। ------- केस स्टडी- 3 20 माह बाद भी निर्माण कार्य अधूरा

जमुई मलयपुर मुख्य मार्ग से सटे वार्ड संख्या पांच सतगामा मुहल्ले के स्नेहा रेस्ट हाउस के समीप लगभग 24 लाख की लागत से बन रहा आरसीसी नाला निर्माण कार्य कई माह से अधूरा पड़ा हुआ है। ------- बॉक्स ------ जिलाधिकारी पर टिकी है शहरवासियों की आस शहर में सालों से आधे- अधूरे पडे नाला निर्माण कार्य और जलजमाव की समस्या का निस्तारण और नगर प्रशासन की मनमानी पर रोक लगाने के लिए अब शहरवासियों की नजर नव पदस्थापित जिलाधिकारी पर टिकी है। लोगों को लगता है की जिलाधिकारी ही आजादी बाद शहर में जलजमाव से निजात और नागरिक सुविधा के नाम पर किए जा रहे खर्च सही तरीके से बहाल कर सकते हैं।


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