पानी के लिए हाहाकार के बीच लाखों लीटर पानी हो रहा बेकार
जमुई। पूरी दुनिया में पानी को लेकर आत्ममंथन का दौर जारी है। सामाजिक व सरकार के स्तर पर
जमुई। पूरी दुनिया में पानी को लेकर आत्ममंथन का दौर जारी है। सामाजिक व सरकार के स्तर पर कई तरह के कवायद किए जा रहे हैं। इससे अलग जमुई में भूगर्भीय जल के दोहन और बर्बादी की ओर न ही आम लोगों का ध्यान है और न ही खास को इसकी कोई ¨चता। शासन-प्रशासन की तो बात ही निराली है। बिना लाइसेंस कुकुरमुत्ते की तरह जार में बंद कर बेचे जाने वाले पानी के प्लांट खुल रहे हैं। जितना पानी स्वच्छ जल के रूप में बिक रहा है, उससे दोगुना पानी नाले में बह रहा है।
बुधवार को टीम जागरण ने जिले के एक दर्जन पानी प्लांट्स का मुआयना किया। अधिकतर जगहों पर एक ही बात सामने आई, बेकार जा रहे पानी पर किसी का ध्यान नहीं है। ज्ञातव्य है कि गर्मी आते ही जिले भर में पानी की किल्लत विकराल रूप धारण कर लेती है। बूंद-बूंद पानी के लिए शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में आम लोगों को मशक्कत करनी पड़ती है। इसमें इन प्लांट वालों का भी योगदान है।
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नगर परिषद क्षेत्र में दर्जन भर से ज्यादा वाटर प्लांट्स
नगर परिषद क्षेत्र में ही तकरीबन एक दर्जन से ज्यादा पानी प्लांट लगा हैं। जिले भर की बात करें तो यह आंकड़ा 50 से ऊपर पहुंच जाएगा। कारोबार के नाम पर लोगों के घर पहुंचाने के लिए ये पानी प्लांट प्रतिदिन पानी स्वच्छ करने के लिए लाखों लीटर पानी मशीन के माध्यम से बर्बाद करने में लगे हैं, क्योंकि पानी साफ करने के दौरान मात्र 30 प्रतिशत पानी ही शुद्ध प्राप्त होता है और 70 प्रतिशत पानी नाले में बहा दिया जाता है। कमोवेश यही स्थिति संपन्न लोगों के घरों में लगे आरओ की भी है। इससे इतर प्लांट में बेकार पानी को पुन: भू-गर्भ में डालने की कोई व्यवस्था नहीं है। इसको लेकर प्रशासन भी आंख मूंदे हुए है।
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नहीं ली जाती है अनुमति
शहरी क्षेत्रों में नलकूप लगाने से पहले नगर परिषद से अनुमति लेना आवश्यक होता है। आलम यह है कि बो¨रग कराने से पूर्व नगर परिषद की न तो अनुमति ली जाती है और न ही सूचित किया जाता है। इस मामले में घर की बात तो छोड़ दें, व्यापार करने वाले लोग भी इसकी अनुमति लेना जरूरी नहीं समझ रहे हैं, जिस कारण बीते एक दशक में जमुई नगर परिषद क्षेत्र का जलस्तर तकरीबन 20 फीट तक नीचे जा चुका है।
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जल की समस्याओं को लेकर जमुई से बाहर कई सेमिनार व गोष्ठी में शिरकत कर चुके सामाजिक कार्यकर्ता नंदलाल ¨सह कहते हैं कि पानी प्लांट से निकलने वाला बेकार पानी को संरक्षित करने के लिए नगर परिषद एवं प्लांट संचालक को इंतजाम करना चाहिए।
वाटर प्लांट संचालक राहुल भवेश कहते हैं कि वे वाटर प्लांट के बेकार पानी को अपने गौशाला में यूज करते हैं। इधर, एक अन्य वाटर प्लांट संचालक विनीत डालमिया कहते हैं कि बेकार पानी का उपयोग वे जार धोने में करते हैं।
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भूगर्भ जल का दोहन और संरक्षण को लेकर नगर परिषद कार्ययोजना तैयार कर रही है। शीघ्र ही सूची तैयार कर वाटर प्लांट संचालकों को नोटिस किया जाएगा।
- अर¨वद पासवान, कार्यपालक पदाधिकारी, नगर परिषद, जमुई।