जान जोखिम में डाल कोरोना काल में की नवजात बच्चों की देखभाल
जमुई। सदा बचाते हैं रोगी को दुख-दर्दों और बीमारी से भेदभाव को नहीं करे वह नर रोगी और नारी से देख बुलंदी को नर्सों की बीमारी डर जाती है ऐसा करने वाली देश की बेटी नर्स कहलाती है।
जमुई। सदा बचाते हैं रोगी को दुख-दर्दों और बीमारी से, भेदभाव को नहीं करे वह नर रोगी और नारी से, देख बुलंदी को नर्सों की बीमारी डर जाती है, ऐसा करने वाली देश की बेटी नर्स कहलाती है। किसी कवि की पंक्तियां कोरोना महामारी के समय सदर अस्पताल से लेकर निजी क्लीनिक और आइसोलेशन वार्ड में कार्य कर रहे सभी नर्स पर सटीक बैठती है।
कोरोना वायरस के कारण एक समय जब अपने लोग भी दूरियां बनाने लगे थे। जान बचाने के लिए जहां लोग अपने-अपने घरों में कैद हो गए थे। उस समय चिकित्सकों के अलावा मरीजों की देखभाल करने वाली नर्स के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। इसी क्रम में जिले के सुदूरवर्ती नक्सल प्रभावित क्षेत्र महेंग्रो की नर्स बेटी जीवन लता मुर्मू का योगदान भी काफी अहम है। शहर के प्राइवेट शिशु अस्पताल में कार्य कर रही जीवन लता मुर्मू से मुलाकात हुई तो उन्होंने लॉकडाउन के समय अपने किए गए कार्यों को साझा किया। जीवन लता ने बताया कि बच्चों को देखभाल करना उन्हें बचपन से ही पसंद था छोटे बच्चे की सेवा उसे आनंदित करती है। इसी कारण नर्स के रूप में कार्य करने का मन बना कार्य करने लगी। वे आगे कहती है कि जिस वक्त कोरोना महामारी के कारण देशभर में लॉकडाउन लग गया था। उस समय अपने मां और पिताजी से 40 किलोमीटर दूर रहकर अस्पताल के वार्रमर में छोटे-छोटे नवजात बच्चों की सेवा अपना कर्तव्य समझकर लॉकडाउन समाप्त होने तक निभाया। इस दौरान मां और पिताजी बराबर घर आने के लिए कहते, लेकिन नवजात को देखकर उसकी ममता छलक आती और मैं बच्चे से अलग नहीं हो सकी।