Move to Jagran APP

खैरा व अलीगंज पीएचसी में आवश्यकता के अनुरूप नहीं हैं चिकिस्सक

जमुई। दिन-प्रतिदिन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति बदतर होती जा रही है। चिकित्सक व संसाधनों का अभाव सबसे बड़ी बाधा उत्पन्न कर रही है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 02 Dec 2020 06:31 PM (IST)Updated: Wed, 02 Dec 2020 06:31 PM (IST)
खैरा व अलीगंज पीएचसी में आवश्यकता के अनुरूप नहीं हैं चिकिस्सक

जमुई। दिन-प्रतिदिन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति बदतर होती जा रही है। चिकित्सक व संसाधनों का अभाव सबसे बड़ी बाधा उत्पन्न कर रही है। स्वीकृत पद के अनुसार कर्मियों के नहीं रहने और संसाधनों के अभाव की वजह से कई मरीजों को बिना इलाज के ही सदर अस्पताल रेफर कर दिया जाता है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सुंदरीकरण और सुविधाओं की आस में नजरें बिछाए हुए है।

loksabha election banner

बता दें कि अलीगंज और खैरा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की हालत मिलती-जुलती ही है, जहां समुचित व्यवस्था नहीं होने की वजह से इलाज के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जाती है। यहां आए मरीजों को बिना इलाज के ही सदर अस्पताल रेफर कर दिया जाता है।

--

एक जैसी है स्वास्थ्य केंद्रों की दुर्दशा

विडंबना देखिए कि अलीगंज और खैरा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की दुर्दशा लगभग एक जैसी है। यहां 8 से 10 डॉक्टर का स्वीकृत पद है। अलीगंज की बात करें तो सिर्फ दो डॉक्टर ही कार्यरत हैं। खैरा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की बात करें तो वहां सिर्फ पांच डॉक्टर पर स्वास्थ्य केंद्र का भार है। वहीं एएनएम व अन्य कर्मियों भी कमी है। कई ऐसे पद हैं जहां एक भी कर्मी कार्यरत नहीं हैं। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि कितना हद तक मरीजों का इलाज संभव हो सकता है।

--

जरूरत के हिसाब से दवा की भी रहती है कमी

अलीगंज और खैरा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में वाह्य रोग कक्ष यानि ओपीडी और आइपीडी, यानी अंतरू रोगी कक्ष में जितनी दवाईयां उपलब्ध होनी चाहिए उतनी नहीं है। कभी भी डॉक्टर द्वारा लिखी गई पूरी दवा अस्पताल में उपलब्ध नहीं रहती। यहां सिर्फ सर्दी, खांसी और बुखार की दवा ही प्रचुर मात्रा में उपलब्ध रहे यही काफी है।

--

बिना महिला चिकित्सक के होता है प्रसव

अलीगंज और खैरा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एक भी महिला चिकित्सक नहीं है। एएनएम और ममता द्वारा ही गर्भवती का इलाज किया जाता है और प्रसव भी कराया जाता है। जिससे मातृत्व सुरक्षा पर खतरा बना रहता है। कईयों की असामायिक मौत भी हो जाती है, इसके बावजूद एक भी महिला चिकित्सक का नहीं होना स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही को दर्शाता है।

--

मेडिकल वेस्टेज के निस्तारण में भी बरती जाती है कोताही

इन स्वास्थ्य केंद्रों में साफ-सफाई की व्यवस्था तो सही-सलामत नहीं दिखती है। कहने के लिए तो दो से तीन बार साफ-सफाई की जाती है लेकिन शौचालय की दुर्दशा ऐसी रहती है कि वहां से गुजरने वाले लोग कुछ क्षण के लिए बीमार पड़ जाएं। शौचालय से उठती दुर्गंध परेशान कर देती है। यहां मेडिकल वेस्टेज का भी निस्तारण सही ढंग से नहीं किया जाता है। सुबह में प्रसव कक्ष, शल्य कक्ष, वार्ड आदि जगहों पर मेडिकल वेस्टेज यत्र-तत्र फेंके नजर आते हैं।

--

15 से 20 किमी का सफर कर इलाज के लिए पहुंचते हैं मरीज

इन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में तकरीबन 100 से 200 मरीज प्रत्येक दिन इलाज के लिए 15 से 20 किलोमीटर का सफर तय कर आते हैं। स्पेशलिस्ट चिकित्सक की कमी और अन्य कर्मियों के अभाव में कई मरीज बिना इलाज के ही वापस चले जाते हैं।

--

किराए के मकान में रहते हैं स्वास्थ्य कर्मी

चिकित्सक सहित अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को आवास आवंटन होने के बावजूद सभी लोग किराए के मकान में रहते हैं जिससे कई कर्मी समय पर स्वास्थ्य केंद्र भी नहीं पहुंच पाते हैं। 15 से 20 किलोमीटर का सफर कर आने वाले कर्मियों को अमूमन देरी होती है जिसका दंश मरीजों को झेलना पड़ता है।

--

कहते हैं पदाधिकारी

अलीगंज प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सक डॉ. मु. साजिद हुसैन और खैरा के प्रभारी चिकित्सक डॉ. अमित रंजन ने बताया कि चिकित्सक और संसाधन की कमी को लेकर कई बार विभाग को पत्र लिखा गया है। संसाधनों की उपलब्धता की भी मांग की गई है। फिलहाल, मौजूदा संसाधनों में बेहतर इलाज की सुविधा सुनिश्चित की जा रही है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.