हरतालिका तीज : महिलाएं करेंगी भगवान गणेश, भोले शंकर व मैया पार्वती की पूजा-अर्चना, यह है शुभ मुहूर्त
हरतालिका तीज भाद्रपद शुक्ल पक्ष तृतीया को पति की लंबी उम्र व अखंड सौभाग्य के लिए महिलाएं व्रत करतीं हैं। अविवाहित युवतियां मनवांछित वर पाने की कामना के लिए भी यह व्रत करती हैं। महिलाएं निर्जला उपवास पर रहती हैं।
संवाद सहयोगी, जमुई। पंचांग के अनुसार भाद्रपद शुक्ल पक्ष तृतीया को सुहागिनें पति की लंबी उम्र की कामना व अखंड सौभाग्य के लिए तथा अविवाहित युवतियां मनवांछित वर पाने की कामना के लिए निर्जला उपवास रहती हैं। हरितालिका तीज व्रत पर भगवान गणेश, शंकर, मैया पार्वती की पूजा-अर्चना कर कथा का श्रवण करती हैं। ऐसी मान्यता है कि सर्व प्रथम हिमालय राज की पुत्री माता पार्वती ने भगवान भोलो शंकर को पति के रूप में पाने के लिए भाद्रपद शुक्ल पक्ष तृतीया को निर्जला उपवास रख भगवान शिव को डलिया चढ़ाकर विशेष पूजा-अर्चना की थी। तब से सुहागिनें अखंड सुहाग के लिए निर्जला उपवास रह कर तीज व्रत करने लगी। तीज व्रत 30 अगस्त को है।
व्रती महिलाएं ऐसे करती हैं पूजा-अर्चना
अखंड सौभाग्य की कामना को लेकर व्रती निर्जला उपवास रखकर सोलह सिंगार कर भोलेनाथ, मैया पार्वती, सिद्धीदाता गणेश की पूजा-अर्चना व अपने पति के दीर्घायु की कामना के लिए मिट्टी का शिवलिंग बनाकर उस पर पंचामृत, सुगंधित तेल, गुलाब जल, गंगा जल, चंदन आदि का लेप करती हैं। सुहाग की सामग्री के साथ अक्षत, फूल, नैवेद्य, बेलपत्र, धूप, दीप, इलायची, पान पत्ता, सुपारी, जनेऊ, बांस की डलिया में भरकर भगवान गणेश, माता पार्वती के साथ भगवान शिव की पूजा-अर्चना कर कथा का श्रवण करती हैं। पूजा-अर्चना के बाद अगले दिन सुबह में शिवलिंग का विसर्जन कर दान-पुण्य करती हैं।
कहते हैं आचार्य
पंडित व शुभ मुहूर्त व्यवहार न्यायालय परिसर स्थित दुर्गा मंदिर के पंडित आचार्य ललन झा, पंडित आचार्य मनोज पांडे एवं पंडित मनोहर आचार्य ने बताया कि हरितालिका व्रत भाद्रपद महीना के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। 15 वर्ष बाद विशेष योग बन रहा है। तीज 29 अगस्त सोमवार की शाम 3:20 बजे से प्रारंभ होकर 30 अगस्त मंगलवार को दिन के 3:33 बजे तक रहेगी। उदय काल को लेकर हरतालिका तीज व्रत 30 अगस्त मंगलवार को निर्जला उपवास रखा जाएगा। हरतालिका तीज पूजा का शुभ मुहूर्त 30 अगस्त मंगलवार सुबह 6:33 बजे से रात 8:51 बजे तक रहेगा। भगवान शिव की पूजा ब्रह्म मुहूर्त या प्रदोषकाल (गोधूली) वेला में पूजा व आराधना शास्त्र सम्मत, सर्वमान्य है। बुधवार सुबह पांच बजे के बाद व्रती उपवास व्रत तोड़ेंगी।