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11 रुपये बिक रहा धान, किसान परेशान

जमुई। सरकार ने किसानों से 1868 रुपये प्रति क्विंटल सामान्य धान खरीद की कीमत तय की है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 30 Nov 2020 05:36 PM (IST)Updated: Mon, 30 Nov 2020 05:36 PM (IST)
11 रुपये बिक रहा धान, किसान परेशान
11 रुपये बिक रहा धान, किसान परेशान

जमुई। सरकार ने किसानों से 1868 रुपये प्रति क्विंटल सामान्य धान खरीद की कीमत तय की है। इसके विपरीत खुले बाजार में 1100 रुपये प्रति क्विंटल अर्थात 11 रुपये प्रति किलो धान बेचने को विवश हैं किसान। धान खरीद की लचर व्यवस्था से परेशान किसान ऑनलाइन भी कराने से परहेज कर रहे हैं। ऑनलाइन निबंधन के आंकड़े का आलम यह है कि अभी तक 1000 के नीचे महज 729 ही है। फिलहाल धान खरीद की प्रशासनिक कवायद के बीच नमी का मानदंड बाधक बना हुआ है।

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जिले में धान अधिप्राप्ति का लक्ष्य अब तक निर्धारित नहीं हो पाना भी प्रशासनिक उदासीनता की बानगी है। उत्पादन का रिपोर्ट सांख्यिकी विभाग को देना है लेकिन स्थिति यह है कि अभी तक प्रखंडों से भी जिला सांख्यिकी कार्यालय को क्रॉप कटिग का प्रतिवेदन अप्राप्त है। जाहिर सी बात है कि उत्पादन का ही जब पता नहीं तो लक्ष्य कैसे निर्धारित हो। बहरहाल पिछले लक्ष्य से 10 फीसद अधिक धान अधिप्राप्ति का अनुमानित लक्ष्य मानकर किसानों से धान खरीद की कवायद सहकारिता विभाग द्वारा प्रारंभ की गई है। बीते साल धान अधिप्राप्ति का लक्ष्य 45 हजार मैट्रिक टन रखा गया था। वैसे इस साल जिले में ऊपर वाले की मर्जी से बंपर पैदावार हुई है लेकिन बाजार में धान की कीमतों में गिरावट सरकार की नई किसान नीति पर भी सवाल खड़ा कर रहा है। यह दीगर बात है कि जमुई में हरियाणा और पंजाब जैसे स्थितियां नहीं है और किसानों का कोई मजबूत मंच नहीं है। अन्यथा फसल का वाजिब मूल्य नहीं मिलने से आंदोलन की चिगारी को तो हवा मिल ही रही है।

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46 पैक्स में धान अधिप्राप्ति पर ग्रहण

जिले के 153 में से 46 पैक्स द्वारा धान अधिप्राप्ति पर ग्रहण लगा है। इन सहकारी समितियों की अवधि पूर्ण हो चुकी है। विधानसभा चुनाव से पहले ही इसके चुनाव की डुगडुगी भी बज गई थी, लेकिन कोरोना काल चुनाव में बाधक बना और अब तक चुनाव प्रक्रिया आरंभ नहीं हो पाई है। अब वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर प्रशासकीय स्तर से धान अधिप्राप्ति की योजना है लेकिन वह कितना व्यवहारिक हो पाएगा यह कहना मुश्किल है।

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यहां होने हैं चुनाव

चिनवेरिया, काला, आनंदपुर, मिर्चा पाठकचक, घुटवे, बोंगी, वामदह, रामचंद्रडीह, सरौन, कल्याणपुर, चौफला, बरमोरिया, पुरसंडा, मिर्जागंज, लखनपुर, अगहरा बरुअट्टा, काकन, पूर्वी गुगुलडीह, कोल्हुआ, सेवा, कुंधूर, बोड़वा, बाराकोला, बाराजोर, बैजला, बलियाडीह, महापुर, करहारा, कर्मा, हथिया, हरणी, विशनपुर, भिमायन, जीत झिगोई, बलथर, लालीलेवार, महेश्वरी, दहियारी, थम्मन, छुछुनरिया, बाबूडीह, लखनकियारी, रजौन, गुगुलडीह, पाड़ों, डाढ़ा

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ऐसे में कैसे होगी आमदनी दोगुनी

सदर प्रखंड के डोमनपूरा गांव के प्रगतिशील किसान एवं उप प्रमुख पवन सिंह रावत धान की खेती में लागत को जोड़कर बताते हैं कि बाजार में जो धान की कीमत 1100 प्रति क्विंटल मिल रही है। उससे तो लागत मूल्य भी वापस मिलना मुश्किल लग रहा है। धान अधिप्राप्ति कि अभी शुरुआत भी नहीं हुई है। जरूरतमंद किसान रबी फसल की खेती के लिए ओने पौने दाम में फसल बेचने को विवश हैं। ऐसी परिस्थितियों में किसानों की आमदनी दोगुनी कैसे होगी यह बड़ा सवाल है। पवन सिंह की बातों का समर्थन उसी गांव के राजेंद्र पंडित और प्रकाश यादव भी करते हैं। ताजपुर गांव के किसान मंटू महतो, श्याम सुंदर महतो तथा मंझवे गांव के किसान लोटन मंडल कहते हैं कि लंबे अरसे बाद अच्छी बारिश हुई तो धान की पैदावार भी खूब हुई है, लेकिन अब धान का उचित कीमत नहीं मिलना किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रहा है।

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धान अधिप्राप्ति को लेकर दो दिसंबर को जिलाधिकारी ने बैठक बुलाई है। बैठक में लक्ष्य, अधिप्राप्ति केंद्र तथा मीलों की चयन प्रक्रिया पर मुहर लगेगी। फिलहाल 729 किसानों ने धान बेचने के लिए ऑनलाइन निबंधन कराया है। मानक के अनुरूप धान में नमी कम होते ही अधिप्राप्ति की गति तेज हो जाएगी।

संजीव कुमार सिंह, जिला सहकारिता पदाधिकारी, जमुई


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