20 हजार की खर्च सीमा, एक दिन में होता इतना खर्च
जमुई। नगर परिषद चुनाव में नियम और कानून की किस तरह धज्जियां उड़ रही है।
जमुई। नगर परिषद चुनाव में नियम और कानून की किस तरह धज्जियां उड़ रही है। इसका नमूना हर वार्ड में देखने को मिल रहा है। जहां नामांकन में गाजे-बाजे के साथ पहले ही दिन उम्मीदवारों ने इतने रुपये खर्च कर दिए जो बीस हजार की संपूर्ण खर्च सीमा से ज्यादा है। गाजे-बाजे और प्रचार के साथ चाय-पानी तथा वोटरों को लुभाने के तौर तरीके पर खर्च हो रहा है वह अलग। पुराने जीते हुए उम्मीदवार अंतिम समय में खर्च कर वोट जुटाने में भी पीछे नहीं हट रहे हैं। कई अपने पैसे से नालियां और चापाकल लगवा रहे हैं। वैसे तो चुनाव आयोग और प्रशासन द्वारा आचार संहिता का पालन कराने के लिए बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं पर प्रत्याशी के खर्च के आगे सब विवश नजर आ रहे हैं। शराब का दौर रुक जाने के बाद अब इसकी जगह ठंडई, मछली, मांस और पार्टी का भी दौर चल रहा है। नामांकन के दिन ही लोगों ने तय खर्च सीमा से अधिक व्यय कर दिया है। उसके बाद प्रचार-प्रसार तथा अन्य पर जो खर्च किए जा रहे हैं वह विधानसभा से कम नहीं हैं। आचार संहिता के नियम-कानून अपनी जगह, उम्मीदवारों ने वोटरों को प्रलोभित करने में भी कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। कोई चापाकल लगवा रहा है तो किसी ने पुराने फंड से सड़क निर्माण शुरू करा दिया जो अब आधी-अधूरी पड़ी है। ऐसे में अब जनता यह सवाल पूछने लगी है कि ऐसी खर्च सीमा तय करने से क्या फायदा जिसकी प्रत्याशियों को परवाह ही नहीं है।