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सोनो में अधिकांश छठ घाटों की स्थिति नारकीय

जमुई। लोक आस्था का महापर्व छठ हर पर्व से श्रेष्ठ है। इसकी महत्ता किसी से छिपी नहीं है। स्व'छता, सादगी व संयमशीलता इस महापर्व की अनूठी विशेषता है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 10 Nov 2018 06:37 PM (IST)Updated: Sat, 10 Nov 2018 06:37 PM (IST)
सोनो में अधिकांश छठ घाटों की स्थिति नारकीय

जमुई। लोक आस्था का महापर्व छठ हर पर्व से श्रेष्ठ है। इसकी महत्ता किसी से छिपी नहीं है। स्वच्छता, सादगी व संयमशीलता इस महापर्व की अनूठी विशेषता है। वहीं दूसरी ओर प्रशासनिक संवेदनहीनता के कारण इस बार छठ घाटों की साफ-सफाई अभी तक सुनिश्चित नहीं हो पाई है। न ही सक्षम पदाधिकारियों द्वारा घाटों का निरीक्षण कर वहां की स्थिति का जायजा लिया जा रहा है। दिखावे के तौर पर महज आधे दर्जन घाटों का निरीक्षण अभी तक पदाधिकारियों द्वारा किया गया है। ग्रामीण बताते हैं कि निरीक्षण के पांच-सात दिन बीत जाने के बाद भी छठ घाटों पर जमा कूड़े का ढेर अभी तक नहीं हटवाया गया है। हैरत की बात तो यह है कि छठ घाट तक जाने वाले संपर्क पथ की स्थिति भी दयनीय है। इसका मुख्य कारण प्रखंड के अधिकांश नदी घाटों से हो रहा अवैध बालू उठाव है। संपर्क मार्ग से होकर पूरी रात ट्रैक्टरों द्वारा अवैध बालू ढोई जाती है जिसके कारण छठ घाट तक जाने वाली संपर्क सड़क का अस्तित्व ही मिट गया है।

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प्रखंड में छोटे - बड़े कुल 72 छठ घाट :

पांच वर्ष पूर्व 2012 में तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी राणा प्रताप ¨सह ने संबंधित पंचायत सचिवों से पंचायत वार छठ घाटों की सूची मांगी थी। अगर उक्त सूची को आधार मान लिया जाए तो सोनो प्रखंड में छोटे - बड़े कुल 72 छठ घाट हैं। जिनमें तकरीबन 15 छठ घाट पर सर्वाधिक श्रद्धालुओं का जमावड़ा होता है। इनमें बलथर , केवाली , सोनो , चुरहेत , डुमरी - राजपुर , गंदर , महुगांय , बुझायत , महेश्वरी , आदि ऐसे छठ घाट है जहां व्रतियों के साथ बड़ी संख्या में श्रद्धालु घाट तक पहुंचते हैं।


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