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नहाय-खाए के साथ छठ पर्व शुरू

जमुई। नहाय-खाए के साथ रविवार को लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ प्रारंभ हुआ।

By JagranEdited By: Published: Sun, 11 Nov 2018 06:35 PM (IST)Updated: Sun, 11 Nov 2018 06:35 PM (IST)
नहाय-खाए के साथ छठ पर्व शुरू
नहाय-खाए के साथ छठ पर्व शुरू

जमुई। नहाय-खाए के साथ रविवार को लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ प्रारंभ हुआ। रविवार को छठव्रतियों ने नदियों में स्नान कर चुल्हा, बर्तन की सफाई की। पत्नेश्वर मंदिर स्थित किउल नदी, मलयपुर स्थित आंजन नदी में सुबह से ही महिलाओं की भीड़ लगी रही। महिलाओं ने प्रसाद रखने वाले बर्तन सहित चुल्हा आदि की सफाई की। हालांकि नदियों में पानी की कमी के कारण श्रद्धालुओं को परेशानियों से दो-चार होना पड़ रहा था। मलयपुर स्थित आंजन नदी विशाल दायरा सिमट कर बड़ी नाली की तरह हो गया है। छठव्रतियों को स्नान के साथ अन्य कार्य में परेशानी हो रही थी। ग्रामीणों ने बताया कि पहली बार इस नदी की ऐसी स्थिति देखी है। यहां हर छठ में घुटने भर पानी रहता था। कभी-कभी तो अधिक पानी होने के कारण अस्थाई पुल का निर्माण करवाना पड़ता था। बता दें कि मलयपुर स्थित आंजन नदी में नदी पर कर डाला रखा जाता है।

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नदी की सफाई व घाट निर्माण में जुटे लोग

फोटो 11 जमुई-2,3

जमुई: मलयपुर स्थित आंजन नदी की सफाई व नए घाट के निर्माण को लेकर रविवार को ग्रामीणों ने कवायद शुरू कर दी। दो जेसीबी मशीन से नदी के बीचोबीच घाट का निर्माण कराया जा रहा है तो स्थानीय युवक नदी के कचड़े को साफ करने में जुट गए है। नदी में पसरी गंदगी को ट्रैक्टर से बाहर निकाला जा रहा है। इसके अलावा ट्रैक्टर को नदी के पानी पर चलाकर पानी को साफ करने, हल व रोटावेटर के सहारे बालू से गंदगी हटाने की कवायद की जा रही है। इस कार्य में प्रखंड प्रमुख रूवेन कुमार ¨सह, पूर्व मुखिया संजीत कुमार, बब्लू कुमार, रघु साव, शंभुनाथ दुबे, निरंजन ¨सह सहित दर्जनों ग्रामीण युवक जुटे हैं। युवाओं की टोली नदी में पसरी पालीथीन व कपड़े को उठाकर ट्रैक्टर के सहारे सफाई में जुटे थे।

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नदियों में पसरी गंदगी

संवाद सहयोगी, जमुई: स्वच्छता का प्रतीक छठ पर्व में नदियों में पसरी गंदगी लोगों द्वारा किए गए कृत्य को आइना दिखा रही है। नदी के पेट में पॉलीथीन, कपड़ा, घरेलू गंदगी व कांच के टुकड़े कुछ कह रहे हैं, जरूरत इसे ध्यान से सुनने और देखने की है। पवित्रता व शुद्धता का बोध कराती नदियां आज कचड़े से कराह उठी है। लोगों के गैर जिम्मेदाराना रवैया की शिकार हो सिसक रही है। नदी और हमारी संस्कृति दूसरे के पूरक रहे हैं। नदियों के समीप सभ्यता पली व बढ़ी है। हमारे पूर्वज व पुरखों की यादें नदियों से जुड़ी है फिर ऐसी अनदेखी क्यों। घरेलू कचड़े सहित अन्य अवशिष्ट का प्रवाह नदी में क्यों। यह सोचना और समझना होगा। मलयपुर स्थित आंजन नदी में गंदगी का साम्राज्य पसरा था। चारो तरफ पालीथीन, कपड़े सहित अन्य प्रकार के अवशिष्ट पसरे थे। लोग नाक बंद कर उन्हें साफ कर रहे थे। नदी का पानी भी इन अवशिष्टों के समीप नाला की तरह बदबूदार बना था। लोग सफाई के साथ नदी की महत्ता व गंदगी पर आक्रोश व्यक्त कर रहे थे मगर नदी को कैसे साफ रखा जाए इसे लेकर योजना बताते में असमर्थ थे। कमोबेश ऐसी ही स्थिति जिले के अन्य नदियों की भी है। ऐसे में सिर्फ छठ पर्व पर ही नहीं वरन नदी को हमेशा साफ रखने और गंदगी नहीं फेंकने का संकल्प और संकल्प को मूर्त रूप देने की प्रतिबद्धता ही नदी के भावार्थ की रक्षा कर सकती है। हालांकि आंजन नदी के तट पर इसे लेकर चर्चा छिड़ी थी जो सुधार या बदलाव की उम्मीद को बल दे रहे थे। बता दें कि आंजन नदी पर संपूर्ण मलयपुर पंचायत सहित कटौना व नूमर पंचायत के आंशिक क्षेत्र के लोग छठ करने पहुंचते हैं। छठ पर हजारों की संख्या में लोग पहुंचते हैं।


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