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बिहार में एेसे हो रही कोरोना लूट-खाली पड़े क्वारंटाइन सेंटर में भी बन रहा 20 प्रवासियों का बिल

बिहार के जमुई जिले के एक क्वारेंटाइन सेंटर में 20 लोगों की क्वारेंटाइन अवधि तक सेंटर में उपस्थिति दर्ज कराकर राशि का भुगतान कर लिया गया जबकि वहां कोई नहीं रहा था।

By Kajal KumariEdited By: Published: Sat, 30 May 2020 11:36 AM (IST)Updated: Sun, 31 May 2020 09:43 AM (IST)
बिहार में एेसे हो रही कोरोना लूट-खाली पड़े क्वारंटाइन सेंटर में भी बन रहा 20 प्रवासियों का बिल

जमुई, जेएनएन। ठोस मान्यता है कि आपदा हमेशा भ्रष्ट किस्म के सरकारी अधिकारियों और आपूर्तिकर्ताओं के लिए वरदान बनकर आती है। इस मान्यता को पुष्ट कर रहा जमुई जिले के गिद्धौर के कोल्हुआ पंचायत के उच्च विद्यालय धोबघट में संचालित क्वारंटाइन सेंटर। यहां अभी तक एक भी प्रवासी मजदूर रखा नहीं गया और 20 का क्वारंटाइन अवधि पूर्ण दिखाकर यहां से मुक्त करने की रिपोर्ट दे दी गई है। स्वभाविक है कि ऐसा रिपोर्ट देने वाले ने 20 के नाम पर भोजन, आवासन और विदाई के नाम पर करीब लाख रुपये का वारा-न्यारा करने की कोशिश की है। 

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वैश्विक आपदा का पर्याय बने इस कोरोना काल में व्यवस्था देने के नाम पर सरकारी लूट का यह मामला आधिकारिक तौर पर सामने आया है। क्वारंटाइन सेंटर बने कोल्हुआ पंचायत के उच्च विद्यालय धोबघट के प्रधानाध्यापक कामता प्रसाद ने इसके लिए अंचलाधिकारी को पत्र भेजा है कार्रवाई की मांग की है। 

प्रधानाध्यापक ने अपने पत्र में लिखा है- आज तक इस केंद्र पर एक भी प्रवासी का आगमन नहीं हुआ है। बावजूद प्रखंड क्वारंटाइन सेंटर से संबंधित दैनिक प्रतिवेदन में उच्च विद्यालय धोबघट सेंटर के नाम पर 20 प्रवासी को पंजीकृत दिखाया गया। प्रतिवेदन में 28 मई को सभी पंजीकृत प्रवासी अवधि पूर्ण कर कैंप से घर जाने की रिपोर्ट दर्शाई गई है, जबकि इस विद्यालय में आज तक एक भी प्रवासी नहीं ठहरा है।

यह रिपोर्ट सेंटर के नाम पर फर्जीवाड़े कर वित्तीय अनियमितता को दर्शा रहा है। इधर, इस मामले पर अंचलाधिकारी अखिलेश कुमार सिन्हा ने कुछ भी बोलने से परहेज किया और इतना कहा कि ऐसा कोई मामला नहीं है।

अबकी आसान नहीं है लूट मचाना

एक प्रशासनिक अधिकारी ने कहा कि बाढ़-सुखाड़ व अन्य आपदा के वक्त में कमाई करने वाले अधिकारियों के लिए कोरोना काल में लूट मचाना आसान नहीं है। यह लूट उनके लिए बड़ा संकट ला सकता है। इस बार सरकार ने प्रवासियों पर किए जा रहे खर्च को लेकर काफी पारदर्शिता बरती है। इसके लिए बकायदा फार्मेट बनाया है।

इस फॉर्मेट में में क्वारंटाइन सेंटर में ठहराए जाने वाले प्रवासियों के तस्वीर सहित नाम, आधार नंबर, मोबाइल नंबर, पता आदि को भरा जाना है। इसे वेबसाइट पर अपलोड भी किया जा रहा है। अगर कहीं से कोई शिकायत आएगी तो जांच होगी।

जांचकर्ता अधिकारी के सामने उस संबंधित मामले में लाभान्वित होने वालों के नाम, आधार नंबर, मोबाइल नंबर होंगे। यानी जिसके नाम पर गोलमाल किया जाएगा वह फर्जी नहीं बल्कि असल में कोई व्यक्ति होगा। उसे बुलाकर पूछताछ में सच सामने आएगा। और यदि फार्मेट पर डाला गया नाम, आधार नंबर, फोटो आदि मिसमैच हुआ तो यहीं फर्जीबाड़ा मान लिया जाएगा। 

जिलाधिकारी ने कहा- कार्रवाई करेंगे

यह आपदाकाल है। हम मानवता की मदद के उद्देश्य से अपना सर्वोच्च देने में लगे हैं। ऐसे वक्त में कोई गोलमाल करने की सोचता भी है तो यह अक्षम्य है। इस मामले की जांच का जिम्मा आपदा प्रभारी को दिया गया है। उन्हें जल्द ही रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है। जो दोषी पाया जाएगा उसपर कड़ी कार्रवाई जाएगी।

धर्मेंद्र कुमार, डीएम, जमुई


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