सूख रही मक्के की फसल, किसान हलकान
कटिहार। मक्के की फसल के सूखने की समस्या इस बार किसानों के लिए नई मुसिबत बन चुकी है। खे
कटिहार। मक्के की फसल के सूखने की समस्या इस बार किसानों के लिए नई मुसिबत बन चुकी है। खेत में लहलहा रही फसलें अचानक सूखने लगी है। पटवन और प्रबंधन भी इनपर बेअसर साबित हो रहा है। गत वर्ष दाना नहीं बनने की समस्या से परेशान किसानों के लिए यह अंजान बीमारी परेशानी का सबब बन चुकी है। कई इलाकों में मोची और बाली आने के बाद अचानक फसल का सूखना किसानों के लिए आर्थिक समस्या उत्पन्न करने लगा है। किसान इसे केले में लगने वाली पनामा बिल्ट रोग की तरह ही मान रहे हैं। किसानों की माने तो यह परेशानी गुणवत्ताविहीन बीज के कारण हुआ है। जबकि किसान उच्च गुणवत्ता की बीज लगाने का दावा कर रहे हैं। बरारी प्रखंड के कान्तनगर पंचायत के मरकड़ियाबाड़ी, राजापाखर, मोहनाचांदपुर के दियारा इलाकों के किसानों की फसल बर्बाद हो चुकी है। किसान बलराज यादव, हजरत अली, खुर्शीद अली, मोतिउर रहमान, अब्दुल जब्बार, अब्दुल हाकिम, मु. कमरुल, मु. रफीक आदि किसानों ने बताया कि अचानक उनकी लहलहाती फसल सूखने लगी है। जबकि उन्होंने उच्च गुणवत्ता का दावा करने वाली बीज जलगाई थी। दाना बनना शुरू होने के साथ ही फसल सूखने लगी है। कहा कि उन्होंने महाजन से कर्ज लेकर खेती की थी। नुकसान के बाद महाजन का कर्ज लौटना और परिवार की परवरिश उनके लिए चुनौती बन चुकी है। वही इस संबंध में कृषि विशेषज्ञ ने बताया कि यह मक्के में लगने वाला एक प्रकार का रोग जो फसल पकने के पूर्व होता है। यह परागण के समय व दाना बनने व दाना भरने के समय होता है। इससे पूरा पौधा सुखने लगता है। सबसे पहले नीचे की पत्ती सूखती है और ये ऊपर की तरफ बढ़ता है। मिट्टी में पाया जाने वाला फंगस इसका मुख्य कारण है। अनुकूल मौसम में यह सक्रिय होकर फसल को बर्बाद कर देता है। इसका पता मिट्टी जांच के दौरान लगाया जा सकता है। लेकिन किसान इसे मानने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने इसकी जांच कराने की मांग की है। इस संबंध में किसानों ने जिलाधिकारी को आवेदन भी दिया है। इस संबंध में जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि किसानों के आवेदन के आधार पर इसकी जांच कराई जा रही है।