मतदान करने 35 किलोमीटर पत्थरीला रास्ता तय कर पहुंचे मतदाता
जमुई। नक्सलियों के लिए सैफ जोन मानी जानी वाली बरहट प्रखंड के जंगल में अवस्थित गुरमाहा चोरमारा के मतदाताओं ने भी जमकर मतदान किया। वो गांव की सरकार चुनने को लेकर उमंगित दिखे।
जमुई। नक्सलियों के लिए सैफ जोन मानी जानी वाली बरहट प्रखंड के जंगल में अवस्थित गुरमाहा, चोरमारा के मतदाताओं ने भी जमकर मतदान किया। वो गांव की सरकार चुनने को लेकर उमंगित दिखे। अपने लोकतांत्रिक अधिकार मतदान को लेकर जागरूक व सजग दिखे। लिहाजा, पांच पहाड़ पार कर लगभग 35 किलोमीटर पहाड़ी रास्ता पैदल तय कर बूथों तक पहुंचे थे। इसमें महिलाओं की संख्या अधिक दिखी। हाथ में वोटर आइडी कार्ड, चेहरे पर गर्व व उमंग उनकी अनकही कहानी बता रही थी। दरअसल चुनाव आयोग द्वारा जंगल में अवस्थित प्राथमिक विद्यालय चोरमारा का बूथ सामुदायिक भवन अगनुबथान परिवर्तित कर दिया गया। इसी प्रकार वन विभाग विश्रामालय से सामुदायिक भवन पांडेयठीका मुसहरी कर दिया गया। हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ। लगभग हर चुनाव में बूथ परिवर्तित होता रहा है। मतदान करने जाती छठिया देवी, कन्न कोड़ा, रत्तु कोड़ा सहित अन्य ने बताया कि गांव की सरकार चुननी है फिर पांच पहाड़ क्या दस पहाड़ पार कर जाते। उन्होंने बताया कि वे लोग सुबह चार बजे ही घर से निकले हैं। थैले में नाश्ता-पानी लेकर। जंगल में पत्थरीले रास्ते, पगडंडियां पर गुजरते हुए पहले कुकरक्षप डैम पहुंचे फिर वहां से अपने-अपने बूथों पर। उन्होंने बताया कि हम वोट करेंगे तभी तो विकास होगा। जब विकास होगा तब आने वाली उनकी पीढ़ी को फायदा पहुंचेगा। बच्चे पढ़ लिखकर लायक बनेंगे। सुनहरे भविष्य के लिए वर्तमान में तपना ही पड़ता है। कष्ट उठाना ही होगा। हमलोग पेट के खातिर सिर पर भारी लकड़ी का बोझ लेकर इसी पत्थरीले रास्ते पर इतनी ही दूरी तय कर सकते हैं तो फिर मतदान के लिए क्यों नहीं। इस दौरान मतदाताओं में जंगली क्षेत्र में उम्मीद के अनुरूप विकास नहीं पहुंचने का मलाल जरूर दिखा लेकिन उनके जोश उम्मीद बरकरार रहने की गवाही दे रहा था।