Jahanabad News: बेटे की मौत के साल भर बाद भी भटकने को मजबूर महिला, नहीं मिला मृत्यु प्रमाण-पत्र
रतनी फरीदपुर की रहने वाली चिंता देवी के बेटे की मौत को साल भर से अधिक का समय हो गया है लेकिन उन्हें प्रशासन की तरफ से किसी भी तरह का मुआवजा तो दूर मृत्यु प्रमाण-पत्र तक मिलना मुश्किल हो गया है।
जहानाबाद, जागरण संवाददाता: 2008 में अपने पति को खो चुकीं चिंता देवी के बेटे की मौत 18 जुलाई को हो गया था। बेटे की मौत के साल भर से अधिक का समय होने के बाद भी उन्हें प्रशासन से किसी प्रकार का मुआवजा तो दूर बेटे के मृत्यु प्रमाण-पत्र के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। चिंता देवी प्रखंड-कार्यालय काट कर थक चुकी हैं लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई है।
पति की मौत के बाद बेटा बटाता था काम में हाथ
2008 में पति की मौत से टूट चुकीं चिंता देवी की जिंदगी में 13 साल बाद 2021 को फिर भूचाल आया। 18 जुलाई को जवान बेटा गंगाधर एक हादसे का शिकार हो गया। पति की मौत बाद विधवा चिंता देवी ने सब्जी बेचकर परिवार को किसी तरह संभाला। तब सभी चार बच्चे छोटे थे। बड़ा होने पर गंगाधर पढ़ाई के साथ मां के काम में हाथ बंटाने लगा था। लेकिन जिंदगी की गाड़ी पटरी पर लौटने से पहले फिर उतर गई। हादसे में बेटा का साथ छूट गया और मां फिर अकेली पड़ गईं।
प्रखंड कार्यालय का चक्कर काटकर थक चुकी मां बताती हैं कि पति के निधन बाद शकुराबाद बाजार में सब्जी बेचकर तीनों बच्चों की परवरिश की। बड़ा होने पर गंगाधर भी सब्जी दुकान में हाथ बंटाने लगा था। उसी से घर परिवार चलता था। उसकी मौत ने मुझे फिर अकेला कर दिया। भगवान ने पति के बाद एक बेटा भी मुझसे छीन लिया। अभी दो बेटी और एक बेटा है, जो छोटे हैं।
अधिकारी नहीं सुन रहे महिला की गुहार
अभी तक चिंता देवी को सरकार से किसी भी तरह का मुआवजा नहीं मिला है। उनका कहना है कि मुआवजा राशि मिल जाती तो बच्चों की पढ़ाई व बेटी की शादी आसान हो जाती। महिला लंबे समय से कार्यालय के चक्कर काट रही है लेकिन वहां बैठे अधिकारी और कर्मचारियों की लापरवाही के चलते उसे अपने बेटे की मौत के एक साल के बाद भी मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं मिल पाया है।