36 फीट तक पहुंच चुका है औसतन जिले का भू जलस्तर
इन दिनों जिले में भीषण गर्मी का प्रकोप जारी है। गर्मी के कारण लोगों की हलक सुखने लगी है। आम आदमी से लेकर जीव- जंतु पानी के लिए परेशान हैं। पशु पक्षियों को भी इस परेशानी से जूझना पड़ रहा है। पानी की समस्या के कारण भयावह स्थिति कायम होने से इंकार नहीं किया जा सकता है।
जागरण संवाददाता, जहानाबाद
इन दिनों जिले में भीषण गर्मी का प्रकोप जारी है। गर्मी के कारण लोगों की हलक सुखने लगी है। आम आदमी से लेकर जीव- जंतु पानी के लिए परेशान हैं। पशु पक्षियों को भी इस परेशानी से जूझना पड़ रहा है। पानी की समस्या के कारण भयावह स्थिति कायम होने से इंकार नहीं किया जा सकता है। जिले के काको प्रखंड के नोन्ही सहित कई इलाकों में भीषण पेयजल संकट उत्पन्न होने की संभावना है। इन इलाकों के अधिकांश गांवों में भू जलस्तर 45 फीट तक नीचे चला गया है। मई महीने में ही तेजी से भू जलस्तर नीचे जाने के कारण अधिकारियों के भी कान खड़े हो गए हैं। अधिकारी भी इससे निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। अधिकारियों द्वारा उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर भयावह पेयजल संकट उत्पन्न होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। औसतन जहां जिले का भू जलस्तर 30 फीट रहा करता था वह इस महीने में 36 फीट पहुंच गया है। जिले के काको प्रखंड के नोन्हीं में सबसे तेजी से भू जलस्तर गिर रहा है। इस गांव में पहले जहां 35 फीट भू जलस्तर हुआ करता था वहीं अब 59 फीट हो गया है। भूल जलस्तर में गिरावट की स्थिति जून के महीने में देखने को मिलता था लेकिन इस वर्ष मई की शुरुआत में ही तेजी से जल स्तर नीचे गिर रहा है। फिलहाल अभी से ही कई ऐसे गांव हैं जहां पेयजल की समस्या लोगों को परेशान करने लगा है। नोन्हीं के सभी निजी चापाकल लगभग फेल हो चुके हैं। कुछ हथिया चापाकल के सहारे ही ग्रामीण काम चला रहे हैं। इसी प्रकार की स्थिति वाणावर पहाड़ के आसपास के गांवों में भी बनी हुई है। पीएचईडी के अधिकारी भी इस संकट की संभावना को आंकते हुए पहले से ही कमर कस चुके हैं। इन पंचायतों में दिख रहा सर्वाधिक असर मखदुमपुर प्रखंड के पुनहदा,कुमरडीह,पश्चिमी सरेण, कोहरा, वैख,रतनी फरीदपुर के रतनी, सेसंबा,नोआवां, उचिटा,सिकंदरपुर,मोदनगंज के गंधार, ओकरी, बंधुगंज,काको के नोन्हीं, डेढ़सैया,दमूहां, बारा,, जहानाबाद के गोनवां,मांदिल,पंडूई,सिकरिया तथा घोसी प्रखंड के शाहपुर,परावन पंचायत में भू जलस्तर की स्थिति काफी गंभीर बनी हुई है। यहां और अधिक जल स्तर नीचे जाने की संभावना भी अधिकारी जता रहे हैं। 13 समूहों द्वारा की जा रही है सरकारी चापाकलों की मरम्मति पीने के पानी की समस्या को देखते हुए जिले में 13 समूहों द्वारा सरकारी हथिया चापाकल की मरम्मति का कार्य किया जा रहा है। इस जिले में 11 हजार 432 सरकारी हथिया चापाकल है। इन चापाकलों को समूह के लोगों द्वारा घुम-घुम कर मरम्मति का कार्य किया जा रहा है। एक समूह में तीन से चार लोग साथ चलते हैं। मरम्मति के लिए ग्रामीणों से किसी तरह की वसूली नहीं करनी है। इनलोगों को सरकारी स्तर पर मजदूरी दिया जाता है। क्या कहते हैं कार्यपालक अभियंता भू जलस्तर में तेजी से गिरावट चिता का विषय है। हमलोग इस समस्या को गंभीरता से ले रहे है। जल ही जीवन है। बिना जल के कोई भी लोग नहीं जी सकते हैं। चुनाव को लेकर कुछ समस्या उत्पन्न हो रही थी। अब चुनाव संपन्न हो गया है। युद्ध स्तर पर हथिया चापाकल को ठीक कराया जाएगा।
हालांकि लोगों को भी इसके लिए जागरुक होना होगा। यथासंभव लोग पानी की बेवजह बर्बादी न करें।
चंद्र भूषण
पीएचईडी