मूलभूत सुविधाओं से महरूम है बापू के सपने का विद्यालय
जहानाबाद। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के शिक्षा दर्शन के अनुरूप बुनियादी विद्यालय की नीव रखी गई थी। लेकिन सरकारी स्तर पर लगातार इस विद्यालय की उपेक्षा होते रहने के कारण कई विद्यालय बदहाल हो गए हैं।
जहानाबाद। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के शिक्षा दर्शन के अनुरूप बुनियादी विद्यालय की नीव रखी गई थी। लेकिन सरकारी स्तर पर लगातार इस विद्यालय की उपेक्षा होते रहने के कारण कई विद्यालय बदहाल हो गए हैं। 1937 के वरधा सम्मेलन में आचार्य कृपलानी ने इसे बापू का अनुपम सौगात करार दिया था। लेकिन वर्तमान परिस्थिति में यह अनुपम सौगात बदहाली का दंश झेल रहा है। बानगी के तौर पर प्रखंड क्षेत्र के तिर्रा पंचायत के धवल बिगहा गांव में संचालित बुनियादी विद्यालय को लें तो इसकी हालात स्पष्ट हो जाती है। इस गांव में वर्ष 1949 में इस विद्यालय की स्थापना की गई थी। इसमें ग्रामीणों ने भी तत्परता दिखाते हुए खेती योग्य 14 एकड़ भूमि दान कर दी थी। इतना ही नहीं अन्य संसाधनों के लिए ग्रामीणों ने चंदा भी किया था। पढ़ाई के साथ-साथ यहां चरखा से सूत काटकर कपड़े की बुनाई भी होती थी। लेकिन धीरे-धीरे सरकारी महकमे का ध्यान इस ओर से दूर होता गया। परिणामस्वरूप इस विद्यालय में वर्तमान समय में कई मुलभूत संसाधनों का अभाव है। 10 कमरे वाले इस विद्यालय के भवन में आठवीं वर्ग तक की कक्षा संचालित होती है। यहां आठ शिक्षक भी पदस्थापित हैं। पेयजल के लिए एकमात्र हैंडपंप की व्यवस्था की गई है। लेकिन बच्चों की संख्या को देखते हुए यह नाकाफी है। चाहरदीवारी की व्यवस्था नहीं रहने के कारण हमेशा यहां चोरी की घटना भी होती रहती है। विद्यालय परिसर गंदगी तथा जंगल झाड़ से पटा पड़ा है। विद्यालय की बदहाली के कारण अभिभावक भी इस विद्यालय में अपने बच्चों के नामांकन से गुरेज करने लगे हैं। हालांकि वर्तमान समय में यहां 160 छात्र-छात्राओं का नामांकन है। बापू के सपने के अनुरूप परंपरागत व्यवस्था तो पूरी तरह से नदारत है ही आधुनिक विज्ञान की चमक भी इस विद्यालय में नहीं दिख रहा है। एक ओर बापू के विचारों पर चलने की दुहाई दी जा रही है वहीं दूसरी ओर उनके सपने के इस विद्यालय की बदहाली व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर रहा है। क्या है इस विद्यालय का उद्देश्य इस विद्यालय का उद्?देश्य सामान्य शिक्षा के साथ-साथ नैतिक, सांस्कृतिक तथा तकनीकी रूप से सबल बनाना है। लेकिन इस तरह के संसाधन उपलब्ध नहीं रहने के कारण यह सिर्फ आम विद्यालय बनकर रह गया है। सुनें प्रधानाध्यापक की कई संसाधन उपलब्ध नहीं हैं जिसके कारण परेशानी हो रही है। सबसे ज्यादा परेशानी चाहरदीवारी के टूटे रहने से होती है। पठन पाठन की अवधि में भी यहां लोगों का जमावड़ा लगा रहता है। जिसके कारण विद्यालय के संचालन में समस्या उत्पन्न होती है। हमलोग उपलब्ध संसाधनों के आधार पर बेहतर संचालन का प्रयास कर रहे हैं। सभी समस्याओं से विभाग को अवगत करा दिया गया है।
सुनिल शर्मा
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