15 दिसंबर तक रबी की बुआई में पटवन बनी समस्या
रबी फसलों की बुआई के लिए मिट्टी में नमी जरूरी, खेतों की मिट्टी में नमी नहीं होने से बुआ
रबी फसलों की बुआई के लिए मिट्टी में नमी जरूरी,
खेतों की मिट्टी में नमी नहीं होने से बुआई के पूर्व करनी पड़ी ¨सचाई
संवाद सहयोगी ,कलेर, अरवल
इस बार मौसम की दगाबाजी से किसान खासे परेशान हैं। मौसम की मार से धान की खेती पर जहां बुरा असर पड़ा है, वहीं अब रबी की बुआई भी किसानों के लिए परेशानी की वजह बन गई है। कम बारिश की वजह से इन किसानों को पहले धान की कम पैदावार से संतोष करना पड़ा है। वहीं अब रबी की बुआई के लिए पटवन का इंतजाम कैसे हो इसकी ¨चता भी सता रही हैं। कम बारिश की वजह से तेलहन और दलहन की खेती में भी लेट लतीफी हो रही है। जिसका प्रतिकूल असर उत्पादन पर पड़ना तय है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार रबी फसलों में दाने पुष्ट हो एवं उत्पादन अधिक हो ,इसके लिए इसकी बुआई 15 दिसंबर तक की जानी चाहिए। लेकिन इस बार चित्रा और हथिया नक्षत्र के दौरान पानी नहीं बरसने से जहां धान की खेती ने किसानों की कमर तोड़ दी है। वही अब रबी की बुआई पर भी इसका असर दिख रहा है। अब इन किसानों के लिए रबी बुआई से पूर्व खेत की पटवन आवश्यक दिख रहा है। जहां इस पटवन के कमी के कारण तेलहन और दलहन की खेती में विलंब हो हुआ है। फिलहाल इस दुख से निपटने के लिए सरकार भी मदद को तैयार नहीं है। यहां तो पिछले वर्ष के पटवन के लिए किसानों को मिलने वाले डीजल अनुदान की राशि भी नहीं मिली पाई है। तब-तक पुन: मौसम की मार से पटवन की परेशानी इनके उपर आफत बन गई है।
दो पार्ट में होती है रबी की बुआई : यहां के किसान दो पार्ट में रबी की बुआई करते है। जिसमें एक तो बलुअर मिट्टी वाले खेतों में बुआई पहले कर ली जाती है। इसके बाद चिकनी मिट्टी वाले खेतों की बुआई की जाती है। लेकिन इस बार मौसम की बेरुखी के कारण बलुअर मिट्टी की बुआई में भी पटवन की जरूरत पर रही है। जिसको लेकर इस बार रबी बुआई में किसान परेशान दिख रहे हैं।
नहीं मिल सकी पिछले वर्ष की डीजल अनुदान राशि : इस बार रबी बुआई में पटवन को लेकर किसान इसलिए भी परेशान है क्योंकि इन्हें पिछले वर्ष के सरकार से मिलने वाली पटवन की अनुदान राशि अभी तक नहीं मिल पाई है। किसानों में सुरेंद्र कुमार ,शिव विनोद शर्मा, नित्यानंद शर्मा ,संतोष शर्मा कपिल,आदि लोगों का कहना है कि जब पिछले वर्ष के पटवन अनुदान राशि द्वारा प्राप्त नहीं हो सकी हैं तो फिर इस बार के पटवन के लिए किसानों को कर्ज में डूबना पड़ेगा।
बढ़ रहा कर्ज का बोझ : प्रखंड क्षेत्र के अधिकतर किसानों ने कहा कि खेती अब पहले जैसी नहीं रही। फसलों की बुआई के दौरान किसानों को खेत को तैयार करने के लिए जुताई के साथ खरपतवार की साफ सफाई आदि में रुपये खर्च करने होते हैं। इसके बाद बीज व मिट्टी के विभिन्न पोषक तत्व वाले खाद एवं उर्वरक के साथ ही कीटनाशक की खरीद में भी मोटी रकम खर्च की जाती है। ¨सचाई से लेकर कीट से बचाव के लिए होने वाले दवा छिड़काव के बाद फसल को घर तक लाने में रुपये खर्च किए जाते हैं। बाजार भाव के अनुसार अनाज की बिक्री कर खाद बीज के दुकानदारों का बकाया चुकता किया जाता है। मौसम की बेरुखी के कारण किसानों पर बाजार का कर्ज भार बढ़ते जा रहा है।
सुनें किसान की
इस बार मौसम की मार के कारण रबी की बुआई लगभग एक माह पिछड़ गई है। रबी की बुआई से पूर्व पटवन की जरूरत किसानों के लिए सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है।
बसंत पासवान
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मौसम प्रतिकूल रहने के कारण धान की फसल ने किसानों को निराश किया है। अब रबी की बुआई बिना पटवन के संभव नहीं दिख रही। व्यवस्था के अभाव में रबी की बुआई समय से नहीं हो पाई है। जिससे किसान परेशान हो रहे है।
सुरेंद्र कुमार
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बारिश की कमी के कारण धान की फसल के साथ गेहूं की फसल पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ा है। मौसम की बेरुखी के कारण रबी बुआई से पूर्व खेतों की पटवन जरूरी हो गई है। पटवन के बाद खेतों की जुताई अभी नहीं हो पा रही। जिससे रबी की बुआई में विलंब हो रहा है।
रमेश यादव
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सरकार की योजना का लाभ सही समय पर मिले तो किसानों की परेशानी दूर हो सकती थी। गेहूं की बुआई में बीज तो सरकारी स्तर से किसी प्रकार मिल जा रहा है पर पटवन एक बड़ी समस्या है।
मोती रांजन ¨सह
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