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मां-पिता से बात के तीन घंटे बाद शहादत की खबर

जहानाबाद। मां और पिता से बातचीत के ठीक तीन घंटे बाद शहादत की खबर से कलपा गांव में क्रंदन की शोर मच गई। नगर थाना क्षेत्र के कलपा निवासी श्रीगोपाल कुमार उर्फ सोनू नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन के दौरान शहीद हो गए।

By JagranEdited By: Published: Thu, 05 Nov 2020 07:23 PM (IST)Updated: Thu, 05 Nov 2020 07:23 PM (IST)
मां-पिता से बात के तीन घंटे बाद शहादत की खबर
मां-पिता से बात के तीन घंटे बाद शहादत की खबर

जहानाबाद। मां और पिता से बातचीत के ठीक तीन घंटे बाद शहादत की खबर से कलपा गांव में क्रंदन की शोर मच गई। नगर थाना क्षेत्र के कलपा निवासी श्रीगोपाल कुमार उर्फ सोनू नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन के दौरान शहीद हो गए। घटना छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के चिनाकोडेपाल में हुई है। सीआरपीएफ के जवान श्रीगोपाल नक्सलियों के खिलाफ सर्च ऑपरेशन के दौरान करंट के चपेट में आ गए थे। घटना के तीन घंटे पहले वीडियो कॉल पर घर वालों से बात की थी। बताया था कि 20 नवंबर को छुट्टी के लिए आवेदन कर दिया है।

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जहां घटना हुई उससे पहले अपने कौशलेंद्र कुमार और मां मीना से बात की थी। वीडियो कॉल पर नवजात भतीजे की किलकारी ऑनलाइन देखा। परिवार से यह अंतिम ऑनलाइन बात थी। बातचीत के दौरान उसने अपनी मां मीना देवी को यह भी बताया था कि 20 नवंबर को छुट्टी में घर आने के लिए आवेदन दे दिया है। यदि छुट्टी मिल गई तो घर आ जाएंगे। मध्य रात्रि के बाद तकरीबन एक बजे उसके पिता कौशलेंद्र कुमार के मोबाइल की घंटी बजी। फोन पर सीआरपीएफ के कमांडेंट थे। उन्होंने बताया कि श्रीगोपाल शहीद हो गए हैं। तब कलपा गांव के लोग गहरी नींद में थे। श्रीगोपाल के घर अचानक कंद्रन से पूरे गांव की नींद खुली। चित्कार की आवाज सुन वे लोग भी सोनू की घर की ओर दौड़ पड़े। एक हिन्दी दैनिक के पत्रकार चाचा धर्मेंद्र कुमार को भी जहानाबाद में अपने भतीजे के खोने की जानकारी मिली। वे लोग भी रोते पीटते घर पहुंचे।

श्रीगोपाल उर्फ सोनू मार्च 2017 में सीआरपीएफ के 170 वी बटालियन में भर्ती हुआ था। कोरोना काल के समय वह घर आया था। हालांकि छुट्टी समाप्त होने के बाद भी वह कोरोना के कारण कुल 50 दिनों तक घर पर रहा। गाड़ी नहीं चलने के कारण अपने तीन साथियों के साथ वह भाड़े की गाड़ी लेकर ड्यूटी ज्वाइन करने गया था। सोनू का बड़ा भाई ग्वालियर में एयरफोर्स में है। दो साल पहले ही उसकी भी शादी हुई थी। प्रसव के दौरान जुलाई महीने में उसकी पत्नी की भी मौत हो गई थी। साढ़े तीन महीने के उसके बेटे का लालन पालन दादी कर रही है। चाचा धर्मेंद्र ने बताया कि बड़ा भाई ग्वालियर से पटना पहुंच चुका है। शुक्रवार को सुबह सोनू का पार्थिव शरीर पटना एयरपोर्ट पर आएगा। चिटू भी अपने भाई के पार्थिव शरीर के साथ ही गांव आएगा। पूरे गांव के लोग शोक में डूबे हुए हैं। ग्रामीण महेश शर्मा ने बताया कि भाभी की मौत हो जाने के कारण इस साल सोनू की शादी नहीं हो पा रही थी। उसके निधन से पूरा परिवार टूट गया है। गांव के लोग उसके व्यवहार के कायल हैं। उन्होंने कहा कि उनके गांव के कई लोग फौज की नौकरी में हैं लेकिन यह पहला हादसा हुआ है। चाचा ने बताया कि संभवत: गांव में ही अंतिम संस्कार किया जाएगा। यह निर्णय परिवार के साथ ही गांव वालों के विचार विमर्श के बाद ही लिया जाएगा। बताते चलें कि सोनू नक्सलियों के खिलाफ सर्च ऑपरेशन के लिए निकला था। असिस्टेंट कमांडेंट राजकुमार 40 जवानों का नेतृत्व कर रहे थे। सोनू गाइड का काम करता था। इसके लिए उसे छह महीने का प्रशिक्षण भी दिया गया था। गाइड का काम करने के कारण ही वह आगे आगे चलता था। जानकारी के मुताबिक तकरीबन 11 बजे रात्रि में जब वे लोग ऑपरेशन से लौट रहे थे तो विद्युत प्रवाहित तार की चपेट में आ जाने के कारण शहीद हो गए ।


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